Hindi, asked by shreshti00, 3 months ago

baans par nibandh in hindi​

Answers

Answered by piyushprem02gmailcom
2

Answer:

बाँस, ग्रामिनीई कुल की एक अत्यंत उपयोगी घास है, जो भारत के प्रत्येक क्षेत्र में पाई जाती है। बाँस एक सामूहिक शब्द है, जिसमें अनेक जातियाँ सम्मिलित हैं। मुख्य जातियाँ, बैंब्यूसा, डेंड्रोकेलैमस (नर बाँस) आदि हैं। बैंब्यूसा शब्द मराठी बैंबू का लैटिन नाम है। इसके लगभग २४ वंश भारत में पाए जाते हैं।बाँस एक सपुष्पक, आवृतबीजी, एक बीजपत्री पोएसी कुल का पादप है। इसके परिवार के अन्य महत्वपूर्ण सदस्य दूब, गेहूँ, मक्का, जौ और धान हैं। यह पृथ्वी पर सबसे तेज बढ़ने वाला काष्ठीय पौधा है। इसकी कुछ प्रजातियाँ एक दिन (२४ घंटे) में १२१ सेंटीमीटर (४७.६ इंच) तक बढ़ जाती हैं। थोड़े समय के लिए ही सही पर कभी-कभी तो इसके बढ़ने की रफ्तार १ मीटर (३९ मीटर) प्रति घंटा तक पहुँच जाती है। इसका तना, लम्बा, पर्वसन्धि युक्त, प्रायः खोखला एवं शाखान्वित होता है। तने को निचले गांठों से अपस्थानिक जड़े निकलती है। तने पर स्पष्ट पर्व एवं पर्वसन्धियाँ रहती हैं। पर्वसन्धियाँ ठोस एवं खोखली होती हैं। इस प्रकार के तने को सन्धि-स्तम्भ कहते हैं। इसकी जड़े अस्थानिक एवं रेशेदार होती है। इसकी पत्तियाँ सरल होती हैं, इनके शीर्ष भाग भाले के समान नुकीले होते हैं। पत्तियाँ वृन्त युक्त होती हैं तथा इनमें सामानान्तर विन्यास होता है। यह पौधा अपने जीवन में एक बार ही फल धारण करता है। फूल सफेद आता है। पश्चिमी एशिया एवं दक्षिण-पश्चिमी एशिया में बाँस एक महत्वपूर्ण पौधा है। इसका आर्थिक एवं सांस्कृतिक महत्व है। इससे घर तो बनाए ही जाते हैं, यह भोजन का भी स्रोत है। सौ ग्राम बाँस के बीज में ६०.३६ ग्राम कार्बोहाइड्रेट और २६५.६ किलो कैलोरी ऊर्जा रहती है। इतने अधिक कार्बोहाइड्रेट और इतनी अधिक ऊर्जा वाला कोई भी पदार्थ स्वास्थ्यवर्धक अवश्य होगा। ७० से अधिक वंशो वाले बाँस की १००० से अधिक प्रजातियाँ है।

ठंडे पहाड़ी प्रदेशों से लेकर उष्ण कटिबंधों तक, संपूर्ण पूर्वी एशिया में, ५०० उत्तरी अक्षांश से लेकर उत्तरी आस्ट्रेलिया तथा पश्चिम में, भारत तथा हिमालय में, अफ्रीका के उपसहारा क्षेत्रों तथा अमेरिका में दक्षिण-पूर्व अमेरिका से लेकर अर्जेन्टीना एवं चिली में (४७० दक्षिण अक्षांश) तक बाँस के वन पाए जाते हैं। बाँस की खेती कर कोई भी व्यक्ति लखपति बन सकता है। एक बार बाँस खेत में लगा दिया जायें तो ५ साल बाद वह उपज देने लगता है। अन्य फसलों पर सूखे एवं कीट बीमारियो का प्रकोप हो सकता है। जिसके कारण किसान को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। लेकिन बाँस एक ऐसी फसल है जिस पर सूखे एवं वर्षा का अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है। बाँस का पेड़ अन्य पेड़ों की अपेक्षा ३० प्रतिशत अधिक ऑक्सीजन छोड़ता और कार्बन डाईऑक्साइड खींचता है साथ ही यह पीपल के पेड़ की तरह दिन में कार्बन डाईऑक्साइड खींचता है और रात में आक्सीजन छोड़ता है।

pls mark me as brainliest

Answered by Anonymous
1

\sf \colorbox{gold} {\red(ANSWER ᵇʸ ⁿᵃʷᵃᵇ⁰⁰⁰⁸}

बाँस, ग्रामिनीई कुल की एक अत्यंत उपयोगी घास है, जो भारत के प्रत्येक क्षेत्र में पाई जाती है। बाँस एक सामूहिक शब्द है, जिसमें अनेक जातियाँ सम्मिलित हैं। मुख्य जातियाँ, बैंब्यूसा ( डेंड्रोकेलैमस (नर बाँस) आदि हैं। बैंब्यूसा शब्द मराठी बैंबू का लैटिन नाम है। इसके लगभग 24 वंश भारत में पाए जाते हैं।

बाँस एक सपुष्पक, आवृतबीजी, एक बीजपत्री पोएसी कुल का पादप है। इसके परिवार के अन्य महत्वपूर्ण सदस्य दूब, गेहूँ, मक्का, जौ और धान हैं। यह पृथ्वी पर सबसे तेज बढ़ने वाला काष्ठीय पौधा है। इसकी कुछ प्रजातियाँ एक दिन (24 घंटे) में 121 सेंटीमीटर (4.4 इंच) तक बढ़ जाती हैं। थोड़े समय के लिए ही सही पर कभी-कभी तो इसके बढ़ने की रफ्तार 1 मीटर (39 मीटर) प्रति घंटा तक पहुँच जाती है। इसका तना, लम्बा, पर्वसन्धि युक्त, प्रायः खोखला एवं शाखान्वित होता है। तने को निचले गांठों से अपस्थानिक जड़े निकलती है। तने पर स्पष्ट पर्व एवं पर्वसन्धियाँ रहती हैं। पर्वसन्धियाँ ठोस एवं खोखली होती हैं। इस प्रकार के तने को सन्धि-स्तम्भ कहते हैं। इसकी जड़े अस्थानिक एवं रेशेदार होती है। इसकी पत्तियाँ सरल होती हैं, इनके शीर्ष भाग भाले के समान नुकीले होते हैं। पत्तियाँ वृन्त युक्त होती हैं तथा इनमें सामानान्तर विन्यास होता है। यह पौधा अपने जीवन में एक बार ही फल धारण करता है। फूल सफेद आता है। पश्चिमी एशिया एवं दक्षिण-पश्चिमी एशिया में बाँस एक महत्वपूर्ण पौधा है। इसका आर्थिक एवं सांस्कृतिक महत्व है। इससे घर तो बनाए ही जाते हैं, यह भोजन का भी स्रोत है। सौ ग्राम बाँस के बीज में 60.37 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 247.4 किलो कैलोरी ऊर्जा रहती है। इतने अधिक कार्बोहाइड्रेट और इतनी अधिक ऊर्जा वाला कोई भी पदार्थ स्वास्थ्यवर्धक अवश्य होगा।40 से अधिक वंशो वाले बाँस की 1000 से अधिक प्रजातियाँ है।

ठंडे पहाड़ी प्रदेशों से लेकर उष्ण कटिबंधों तक, संपूर्ण पूर्वी एशिया में, 500 उत्तरी अक्षांश से लेकर उत्तरी आस्ट्रेलिया तथा पश्चिम में, भारत तथा हिमालय में, अफ्रीका के उपसहारा क्षेत्रों तथा अमेरिका में दक्षिण-पूर्व अमेरिका से लेकर अर्जेन्टीना एवं चिली में (40 दक्षिण अक्षांश) तक बाँस के वन पाए जाते हैं। बाँस की खेती कर कोई भी व्यक्ति लखपति बन सकता है। एक बार बाँस खेत में लगा दिया जायें तो 5 साल बाद वह उपज देने लगता है। अन्य फसलों पर सूखे एवं कीट बीमारियो का प्रकोप हो सकता है। जिसके कारण किसान को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। लेकिन बाँस एक ऐसी फसल है जिस पर सूखे एवं वर्षा का अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है। बाँस का पेड़ अन्य पेड़ों की अपेक्षा 30 प्रतिशत अधिक ऑक्सीजन छोड़ता और कार्बन डाईऑक्साइड खींचता है साथ ही यह पीपल के पेड़ की तरह दिन में कार्बन डाईऑक्साइड खींचता है और रात में आक्सीजन छोड़ता है।

________________________________

हम आशा करते हैं कि आपको इस उत्तर से मदद मिली होगी।

_________________________________

{कृपया जवाब गलत होने पर रिपोर्ट न करें, हमने आपको सही उत्तर देने की पूरी कोशिश की है}

Similar questions