Baat athani ki babu jagat singh ka charitra chitran .
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बाबू जगतसिंह पेशे से इंजीनियर थे। रिश्वतखोर थे, कठोर हृद्यवाले थे। अपने पुराने और विश्वासप्राप्त नौकर रसीला की अठन्नी की चोरी के किये उसे पुलिस के पास ले जाते हैं और मुकदमा चलवाते है। रसीला बाबू जगतसिंह का नौकर और बड़ा ईमानदार है।
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"बात अठन्नी की" पाठ में बाबू जगत सिंह एक रिश्वतखोर इंजीनियर हैं। रसीला बाबू जगत सिंह का एक ईमानदार नौकर है। बाबू जगत सिंह का नौकर रसीला उसे अक्सर 50,100,1000 रुपये की रिश्वत लेते हुए देखता है। वह जगत बाबू की रिश्वतखोरी की बात अपने मित्र रमज़ान को बताता है। बाबू जगत सिंह के पास में शेख साब का मकान है जहाँ रमज़ान चोंकीदार का काम करता है। एक दिन रसीला बेटे की तबीयत खराब हो जाती है। रसीला रमज़ान से पाँच रुपए उधार ले लेता है। रसीला रमज़ान को साढ़े चार रुपए वापिस मोड़ देता है परंतु एक अठन्नी रह जाती है। इसके कारण वह चिंतित रहने लगता है। एक दिन बाबू जगत सिंह रसीले को पचास रुपए देता है और हलवाई से मिठाई लेकर आने को कहता है। रसीला एक अठन्नी अपने पास रख लेता है और साढ़े चार रुपए की मिठाई ले जाता है। इस चोरी का पता चलने पर बाबू जगत सिंह रसीला पर मुकदमा कर देता है। इसके बाद मैजिस्ट्रेट शेख साब द्वारा उसे 6 महीने की सज़ा हो जाती है। लेखक बताया चाहता है कि अठन्नी की चोरी करने वाले को तो सज़ा सुना दी गयी परंतु 500, 1000 रिश्वत लेने वाले चैन से सो रहे हैं। इस कहानी द्वारा लेखक रिश्वत खोरी का निंदा करता है। वह रिश्वत खोरी को मिटाने के लिए प्रेरित करता है।