bachendri pal par mrityu ka sankat kaise aa pada tha unki raksha kisne ki or kaise ki
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लेखिका के तंबू में गिरे बर्फ़ पिंड का वर्णन बहुत भयानक एवं खतरनाक था। लेखिका गहरी नींद में सोई थी कि रात 12.30 बजे एक सख्त चीज़ लेखिका के सिर के पिछले हिस्से से टकराई और वह जाग गई। साथ ही एक जोरदार धमाका भी हुआ। एक लंबा बर्फ़ पिंड ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर कैंप के ऊपर आ गिरा था। उसमें अनेक हिमखंडो का पुंज था। वह एक एक्सप्रेस रेलगाड़ी की तेज़ गति के साथ और भीषण गर्जना के साथ गिरा था। इसने लेखिका के कैंप को नष्ट कर दिया था। इससे चोट तो सभी को लगी पर मृत्यु किसी की भी नहीं हुई।
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बचेंद्री पाल के दल ने एक स्थान पर पड़ाव डाला था। रात को उनके तंबू पर बर्फ का एक बहुत बड़ा पिंड आ गिरा। वह उनके सिर पर लगा। वे जाग गई और ज़ोर के धमाके की आवाज़ ने उन्हें दहला दिया।
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