Bade badai na kare bade na bole bol
Pakti me kon sa alankar hai
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Answer:
"बड़े बड़ाई ना करें, बड़े न बोलें बोल।" पंक्ति में यमक अलंकार हैं ।
Explanation:
"बड़े बड़ाई ना करें, बड़े न बोलें बोल।" पंक्ति में यमक अलंकार हैं ।
शब्दार्थ / अर्थ : बड़े लोग वो हैं जो अपनी बड़ाई नहीं करते हैं, और न ही बड़ी डींगें हांकते हैं. रहीमजी आगे बताते हैं कि वे हीरे की तरह हैं, जो कभी अपना मूल्य लाखों नहीं बताता है अर्थात जो सचमुच बड़े होते हैं, वे अपनी बड़ाई नहीं किया करते, बड़े-बड़े बोल नहीं बोला करते ।
यमक अलंकार - जब किसी पद में कोई एक शब्द एक से अधिक बार प्रयोग होता हैं तथा प्रत्येक बार उसका अर्थ भिन्न होता हैं तब इस चमत्कार पूर्ण प्रयोग को 'यमक अलंकार' कहा जाता हैं।
उदाहरण -
"बड़े बड़ाई ना करें, बड़े न बोलें बोल।" पंक्ति में यमक अलंकार हैं ।
बड़े बड़ाई ना करें, बड़े न बोलें बोल।" पंक्ति में यमक अलंकार हैं ।
( क्यूंकि यहाँ "ब " वर्ण की आवृति बार - बार हुई है |)
अलंकार का अर्थ :-
अलंकार का अर्थ होता है – आभूषण या श्रंगार चांदी के आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं | अलंकार स्वयं सौंदर्य नहीं होते, वे काव्य के सौंदर्य को बढ़ाने वाले सहायक तत्व होते हैं | अलंकारों के योग से काव्य मनोहारी बन जाता है |
अलंकार के तीन प्रकार :-
- शब्दालंकार
- अर्थालंकार
- उभयालंकार
शब्दालंकार की परिभाषा :-
शब्दालंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है – शब्द + अलंकार। शब्द के दो रूप होते हैं – ध्वनी और अर्थ। ध्वनि के आधार पर शब्दालंकार की सृष्टी होती है। जब अलंकार किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द की जगह पर कोई और पर्यायवाची शब्द के रख देने से उस शब्द का अस्तित्व न रहे उसे शब्दालंकार कहते हैं।
अर्थात जिस अलंकार में शब्दों को प्रयोग करने से चमत्कार हो जाता है और उन शब्दों की जगह पर समानार्थी शब्द को रखने से वो चमत्कार समाप्त हो जाये वहाँ शब्दालंकार होता है।
शब्दालंकार के भेद :-
अनुप्रास अलंकार
यमक अलंकार
पुनरुक्ति अलंकार
विप्सा अलंकार
वक्रोक्ति अलंकार
शलेष अलंकार
यमक अलंकार :-
जिस प्रकार अनुप्रास अलंकार में किसी एक वर्ण की आवृति होती है उसी प्रकार यमक अलंकार में किसी काव्य का सौन्दर्य बढ़ाने के लिए एक शब्द की बार-बार आवृति होती है।