bade bhai sahab summmary
Answers
बड़े भाई साहब पाठ का सार निम्न है -
Explanation:
लेखक के भाई उनसे पांच वर्ष बड़े थे, किन्तु पढ़ाई में तीन साल ही आगे थे। उन्हें कभी कभी एक कक्षा में एक वर्ष से अधिक समय लग जाता था। बड़े भाई साहब हर समय किताब खोल कर पढ़ते रहते थे, लेकिन लेखक का मन पढ़ने में नहीं बल्कि खेल में लगता था। बड़े भाई साहब को को लेखक का समय बरबाद करना पसंद नहीं था।
बड़े भाई साहब लेखक को डांटते थे कि थे कि अंग्रेज़ी पढ़ना इतना आसान नहीं है। मैं दिन भर पढ़ कर एक साल में पास नहीं होता हूँ, तो तुम खेल कर पास होने की उम्मीद रखते हो। दादा की मेहनत की कमाई बरबाद मत करो। डाँट खा कर लेखक दिन भर का टाइम टेबल बनाता, पर अगले ही दिन उसका पालन नहीं कर पाता था।
वार्षिक परीक्षा फल आया तो बड़े भाई साहब फिर से फेल हो गए थे परन्तु लेखक दरजे में प्रथम आया। जिसकी वजह से भाई साहब बहुत दुखी थे, उनका लेखक पर कुछ समय के लिए रोब कम हो गया। लेखक का फिर से खेल में समय लगना शुरू हो गया। एक दिन भाई साहब लेखक पर टूट पड़े कि प्रथम आ गए तो घमंड हो गया। घमंड तो रावण का भी चूर हो गया था। डाँट सुनने के बाद लेखक फिर चोरी से खेलने लगा।
फिर सालाना परीक्षा हुयी। इस बार भी भाई साहब ने खूब परिश्रम किया, लेकिन फेल हो गए। अब भाई साहब डांटने के कई अवसरों पर धीरज से काम लेने लगे। लेखक की आज़ादी बढ़ गयी। एक शाम लेखक अपने दोस्तों के साथ पतंग पकड़ने के लिए दौड़ रहा था कि सामने से भाई साहब आ गए। भाई साहब ने डांटना शुरू किया कि तुम्हे अपनी पोज़ीशन का ध्यान रखना चाहिए। पढ़ाई में भले ही तुम आगे हो पर जीवन का अनुभव मुझे ज़्यादा है।
मेरे रहते तुम गलत राह नहीं चल सकते क्यूंकि दादा मेहनत से कमा कर हमें पाल रहे हैं। यह सुनकर लेखक के मन में भाई साहब के प्रति श्रद्धा पैदा हो गयी। भाई साहब ने कहा पतंग उड़ाने को मेरा भी दिल करता है, परन्तु तुम्हारी रक्षा का कर्तव्य भार मुझ पर है। तभी एक कटी पतंग उड़ती हुयी आयी। भाई साहब ने लपक कर पकड़ लिया और हॉस्टल की तरफ दौड़े। लेखक उनके पीछे पीछे भगा।
Answer:
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Explanation:
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