Bade Ghar Ki Beti by Premchand khanikar ka Parichay
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do you want premchand data ?
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hello
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बेनीमाधव सिंह गौरीपुर गॉँव के जमींदार और नम्बरदार थे। उनके पितामह किसी समय बड़े धन-धान्य संपन्न थे। गॉँव का पक्का तालाब और मंदिर जिनकी अब मरम्मत भी मुश्किल थी, उन्हीं के कीर्ति-स्तंभ थे।
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प्रेमचंद (31 जुलाई 1880-8 अक्तूबर 1936), रूप में बेहतर जाना जाता मुंशी प्रेमचंद, मुंशी एक मानद, किया जा रहा एक भारतीय लेखक अपने आधुनिक हिन्दी-उर्दू साहित्य के लिए प्रसिद्ध था। वह भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे मनाया लेखकों में से एक है और एक जल्दी बीसवीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण हिन्दुस्तानी लेखकों के रूप में माना जाता है। एक उपन्यास लेखक, कहानी लेखक और नाटककार, वह करने के लिए के रूप में लेखकों द्वारा भेजा गया है। अपने काम करता है एक दर्जन से अधिक उपन्यास, 250 लघु कथाएँ, कई निबंध और अनुवाद हिन्दी में विदेशी साहित्यिक काम करता है की एक संख्या के आसपास शामिल हैं।
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बेनीमाधव सिंह गौरीपुर गॉँव के जमींदार और नम्बरदार थे। उनके पितामह किसी समय बड़े धन-धान्य संपन्न थे। गॉँव का पक्का तालाब और मंदिर जिनकी अब मरम्मत भी मुश्किल थी, उन्हीं के कीर्ति-स्तंभ थे।
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प्रेमचंद (31 जुलाई 1880-8 अक्तूबर 1936), रूप में बेहतर जाना जाता मुंशी प्रेमचंद, मुंशी एक मानद, किया जा रहा एक भारतीय लेखक अपने आधुनिक हिन्दी-उर्दू साहित्य के लिए प्रसिद्ध था। वह भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे मनाया लेखकों में से एक है और एक जल्दी बीसवीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण हिन्दुस्तानी लेखकों के रूप में माना जाता है। एक उपन्यास लेखक, कहानी लेखक और नाटककार, वह करने के लिए के रूप में लेखकों द्वारा भेजा गया है। अपने काम करता है एक दर्जन से अधिक उपन्यास, 250 लघु कथाएँ, कई निबंध और अनुवाद हिन्दी में विदेशी साहित्यिक काम करता है की एक संख्या के आसपास शामिल हैं।
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आनंदी अपने नये घर में आयी, तो यहॉँ का रंग-ढंग कुछ और ही देखा। जिस टीम-टाम की उसे बचपन से ही आदत पड़ी हुई थी, वह यहां नाम-मात्र को भी न थी। हाथी-घोड़ों का तो कहना ही क्या, कोई सजी हुई सुंदर बहली तक न थी। रेशमी स्लीपर साथ लायी थी; पर यहॉँ बाग कहॉँ। मकान में खिड़कियॉँ तक न थीं, न जमीन पर फर्श, न दीवार पर तस्वीरें।
(प्रेमचंद की 'बड़े घर की बेटी' से एक अंश)
hope it helped dear : _)
(प्रेमचंद की 'बड़े घर की बेटी' से एक अंश)
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