Hindi, asked by aarti34, 1 year ago

badhati jansakhya par essay


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Answered by abhi192003
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जनसंख्या किसी भी राष्ट्र के लिए अमूल्य पूंजी होती है, जो वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन करती है, वितरण करती है और उपभोग भी करती है । जनसंख्या देश के आर्थिक विकास का संवर्द्धन करती है । इसीलिए जनसंख्या को किसी भी देश के साधन और साध्य का दर्जा दिया जाता है । लेकिन अति किसी भी चीज की अच्छी नहीं होती । फिर चाहे वह अति जनसंख्या की ही क्यों न हो ? वर्तमान में भारत की जनसंख्या वृद्धि इसी सच्चाई का उदाहरण है ।

अनुमान है कि २०२५ तक भारत की जनसंख्या बढकर १५ अरब हो जाएगी । वर्ष २०३० तक यह आबादी जहाँ १.५३ अरब हो जाएगी वहीं २०६० तक यह बढकर १.७ अरब हो जाएगी । झपना ही नहीं, २०३० तक भारत चीन से भी आगे निकल जाएगा । भारत में इस बढी हुई आबादी का २०३० में क्या परिणाम होगा, इसका अनुमान वर्ष २००८ में यदि लगाया जाए तो स्थितियाँ चौंकाने वाली और डरावनी हैं ।

जनसंख्या वृद्धि के कारण पूरे देश की दो तिहाई शहरी आबादी को २०३० में शुद्ध पेय जल नसीब नहीं होगा । वर्तमान में पानी की प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति उपलब्धता जहाँ १५२५ घन मी. है, वहीं २०२५ में यह उपलब्धता मात्र १०६० घन मी. होगी । वर्तमान में प्रति दस हजार व्यक्तियों पर ३ चिकित्सक तथा १० बिस्तर है, २०३० में उनके बारे में सोचना भी मुश्किल होगा ।

भारत की जनसंख्या वृद्धि के लिए जिम्मेदार राज्यों में आंध्र-प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल देश की कुल आबादी का १४ प्रतिशत योगदान करते हैं तो वहीं महाराष्ट्र, गुजरात इसमें ११ प्रतिशत की वृद्धि करते हैं । जनसंख्या वृद्धि के बोझ का ही यह परिणाम है कि एक तरफ जहाँ हमारी जमीन उर्वरकों के कारण अनउपजाऊ होती जा रही है । पैदावार कम होने के कारण लोग आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं ।

चार दशक पीछे देखें तो देश में गरीबी का प्रतिशत आधा रह गया है । सिर्फ शहर की १० प्रतिशत आबादी का ही यह ऑकडा ६२ रुपये प्रतिदिन है । जनसंख्या वृद्धि का ही परिणाम है कि देश में शहरी आबादी के साथ ही साथ स्लम आबादी भी लगातार बडती जा रही हैए । देश की कुल आबादी का १.३ भाग झुग्गी, झोपडियों में रहती है अर्थात मुंबई में १.६३ लाख, दिल्ली में १.१८ लाख तथा कोलकाता में १.४९ लाख लोग स्लम सीमा में रहते हैं ।

विश्व के कृषि भू-भाग का मात्र २.४ प्रतिशत भारत में है जबकि यहाँ की आबादी दुनिया की कुल आबादी का १६.७ प्रतिशत है । विश्व में सबसे पहले १९५२ में आधिकारिक रूप से जनसंख्या नियंत्रण हेतु परिवार नियोजन कार्यक्रम को अपनाया ।

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