badhti mehangai girte naitik mulya essay in hindi
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महँगाई एक आर्थिक समस्या है , किन्तु इसके परिणाम सामाजिक समस्याओं के रूप में भी सामने आते
हैं l आज का यह आलेख – “बढ़ती महँगाई , घटते मानव मूल्य“ ऐसे ही समस्याओं का एक विश्लेषण
है l
बढ़ती महँगाई का सम्बन्ध उत्पादन , माँग तथा आपूर्ति जैसी आर्थिक प्रक्रियाओं से हैं l उत्पादित खाद्द्यान्न उत्पादक किसानों से उपभोक्ता तक आने के मध्य कई ऐसी शक्तियों से होकर गुजरता है , जो माँग तथा आपूर्ति के साथ उस वस्तु के मूल्य को प्रभावित करता है l भारत में दो प्रकार के सूचकांक है , जो महँगाई की वास्तविक स्थितियों का पता लगाने का प्रयास करते हैं l ये है – उपभोक्ता मूल्य सूचकांक तथा थोक मूल्य सूचकांक l इन सूचकांकों द्वारा प्रत्येक सप्ताह मुद्रा –स्फीति की दर के आधार पर वस्तुओं के औसत मूल्य वृद्धि द्वारा महँगाई की स्थिति को देखा जाता है l महँगाई का बेहतर पता विभिन्न वर्गों के द्वारा उपभोग के आधार पर जरी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर होता है l
हमारी सरकार को बढ़ती महँगाई पर अंकुश लगाने के पुरजोर कोशिश करने चाहिए l हालाँकि सरकार महँगाई कम करने का प्रयास अवश्य करती है , लेकिन बाजार की जिन शक्तियों के प्रभाव से इस प्रक्रिया को सहारा मिलता है ; सरकार उन्हीं पर निर्भर है l वर्तमान में आम आदमी और सामान्य उपभोक्ता त्रस्त हैं और निकट भविष्य में मानव मूल्यों में और भी अधिक अवमूल्यन देखने को मिल सकते हैं l
Explanation:
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