Hindi, asked by rvkamboj, 10 months ago

badlte bharat ka badlta savroop 2 pages essay

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Answered by A1231
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Answered by iit2021
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आज की पलपल परिवर्तित होती दुनिया में द ओल्ड मैन एंड द सी के लेखक के ये शब्द युवाओं को नई राह दिखा रहे हैं। बदलाव की सकारात्मक प्रतिक्रिया का ही परिणाम है कि आज जीवन के हर क्षेत्र में बदलाव हो रहे हैं और हमने उसी के बरक्स कदम भी बढाए हैं। हम अपने ही मुल्क को देखें तो आजादी के बाद अब तक 64 सालों में कई बडे परिवर्तनों के गवाह बने हैं। राजनीति हो या समाज, अर्थव्यवस्था हो या फिर संस्कृति, कोई भी समय की गति से प्रभावित हुए बिना नहीं रहा है और इसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण रोल यदि किसी का रहा है तो वह है युवा का। इस दौरान यदि कॅरियर के प्रति युवाओं के दृष्टिकोण की बात न की जाए तो बदलाव की ये कहानी अधूरी ही रह जाएगी। सोचिए आजादी के समय हमारे युवाओं के पास कॅरियर के कितने विकल्प मौजूद थे? प्रशासनिक सेवाएं, सेना, शिक्षा या फिर गिनी चुनी सरकारी नौकरियों के अलावा बताने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है। लेकिन आज इस तस्वीर में बडे बदलाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। कॅरियर क ांसिसनेस, जॉब ऑप्शन्स, डिसीजन मेकिंग जैसी न जाने कितनी चीजें ऐसी हैं, जो पहले कभी परिदृश्य में थी ही नहीं। ऐसे में हम यहां पिछले 6 दशक के 6 सबसे बडे बदलावों की बात कर रहे हैं। ये वे अभूतपूर्व परिवर्तन हैं, जो भविष्य की शानदार इमारत की नींव रख रहे हैं।

खुद की सुन रहे हैं युवा

अपने मन की बात को मानकर यदि कोई काम किया जाता है, तो सफल होने की उम्मीद और भी बढ जाती है, क्योंकि इसे पूरा करने में व्यक्ति अपना सर्वस्व समर्पित कर देता है। किसी लेखक का यह कथन आज युवाओं के सिर चढकर बोल रहा है। यदि हम आजादी के बाद सबसे बडे बदलावों की बात करें, तो कॅरियर चयन के संबंध में छात्रों को आत्मनिर्णय की आजादी मिली है। पहले जहां इस संबंध में टीचर, पैरेंट्स, परिवार के अन्य सदस्यों की अहम भूमिका रहती थी, वहीं आज किस क्षेत्र में जाना है, क्या करना है, और किस तरह करना है, का निर्णय युवा अधिकांशत: स्वयं ही करते हैं। इसमें गलत भी कुछ नहीं है, आखिर जिसे अच्छे कॅरियर के लिए संघर्ष करना है, उसे इसके लिए राह चुनने की तो स्वतंत्रता मिलनी ही चाहिए। आज बहुत से ऐसे लोग हैं, जिनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि और उनके जॉब में कोई समानता नहीं हैं, लेकिन वे अपने क्षेत्रों में सफलता की नई इबारत लिख रहे हैं। इसका एकमात्र और प्रमुख कारण यह है कि उन्होंने अपनी अंतरआत्मा की बात को सुना। उस क्षेत्र का चयन किया, जिसे वे अपने लिए बेहतर समझते थे। कॅरियर विशेषज्ञ भी मानते हैं कि सफल होने के लिए जरूरी है कि उस क्षेत्र का चुनाव करें, जहां आप अपनी क्षमताओं का सर्वोत्तम उपयोग कर सकते हैं। खुद की सुनो आजादी के बाद के उन सबसे बडे बदलावों में से एक है, जिसे आज का युवा सर्वाधिक वरीयता दे रहा है और इसी मूलमंत्र के सहारे सफलता की बुलंद इमारतों का निर्माण कर रहा है।

पैसा ही नहीं, पैशन भी

आज का युवा केवल पैसा नहीं चाहता है, बल्कि ऐसा काम करना चाहता है, जिसे करने के बाद उसे संतुष्टि तो मिले ही साथ ही साथ लोग उसका अनुसरण भी करें। इसी के चलते आज काम में पैशन को खास तवज्जो मिलने लगी है। देश विदेश में कई ऐसे उदाहरण हैं, जहां लोग अपने काम में पैशन को लेकर बडे से बडा रिस्क लेने से भी नहीं चूके हैं। फ्रांस के महान चित्रकार मिलेट के पिता किसान थे, लेकिन मिलेट की रुचि बचपन से ही चित्रकारी में थी, लोग उनका मजाक उडाते, रोजी- रोटी कमाने के लिए कुछ ढंग का काम करने की नसीहतें देते, लेकिन मिलेट का मन तो केवल चित्रकारी में ही बसा था। रंगों के संसार से उन्होंने कुछ ऐसा नाता जोडा कि आज पूरी दुनिया उन्हें दुनिया के महानतम चित्रकार के तौर पर जानती है। स्वयं अपने ही देश में अलग-अलग क्षेत्र के ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे, जहां लोगों ने कॅरियर स्टेबिलिटी, फ्यूचर, सैलरी के मामले में रिस्क उठाते हुए अपने पैशन को वरीयता दी। जरा कल्पना कीजिए कि यदि जीवन से पैशन, कुछ अलग करने का हठ खत्म हो जाता तो दुनिया का क्या स्वरूप होता? युवा सपनों की सतरंगी इबारत कहां लिखी जाती? काम में क्या कुछ लुत्फ रहता? लेकिन यह कुछ लोगों की अपने पैशन को काम से जोडने की ललक थी कि आज भी यह दुनिया उतनी ही रंगीन है, जितनी पहले थी। आज की युवा सोच इस बात को और भी प्रमाणित करती है, क्योंकि इन दिनों वह अपने कॅरियर को दस से पांच की जॉब से बांध कर नहीं बल्कि उससे कहीं आगे बढाकर देखती है। युवा अपने प्रोफेशन में पैशन का स्कोप तलाशता है।

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