History, asked by tamanatamana872, 5 days ago

badlti huai sankritk ke parapar​

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Answered by suryakantburbure3
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Explanation:

जैसे-जैसे देश का आर्थिक विकास हो रहा है, वैसे-वैसे भारत की आहार संस्कृति में भी बदलाव आ रहा है। इस बदलाव का कारण जहां पश्चिमी आहार संस्कृति का अंधानुकरण है, वहीं आहार की गलत जानकारी भी दोषी है। मांस खाने वाले ज्यादातर भारतीयों की धारणा और मान्यता यह है कि मांस खाने से तंदुरुस्ती बढि़या रहती है और शरीर में खूब शक्ति आ जाती है। यहां तक कि समाज का पढ़ा-लिखा तबका भी इस भ्रम और मान्यता का शिकार है। वैसे विश्व में आर्थिक प्रगति बढ़ने और नव उद्योग संस्कृति के विकास ने भी मांसाहार को बढ़ावा दिया है। आज स्थिति यह हो गई है कि जहां जितनी ही संपन्नता है, वहां उतनी ही हिंसा, झूठ और भ्रष्टाचार है। इसके साथ ही मांस, शराब और धूम्रपान का सेवन भी वहां अधिक है। मांसाहार बढ़ने में नई शिक्षा पद्धति भी जिम्मेदार है। किताबों में पढ़ाया जाता है कि मांस, मछली व अंडा सेहत के लिए एक बेहतर आहार हैं, जबकि दुनिया के तमाम महान वैज्ञानिक शोध के जरिए साबित कर चुके हैं कि मांस, मछली और अंडे तमाम घातक बीमारियों के प्रमुख कारण हैं। इसे देखते हुए अमरीका, आस्टे्रलिया, ब्रिटेन और अन्य विकसित देशों के लाखों युवाओं ने मांसाहार और अंडे का परित्याग कर दिया है। दूसरी तरफ तीसरी दुनिया के तमाम देशों में मांसाहार, अंडे और शराब का सेवन बहुत तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है। मांसाहार से जुड़ी अन्य समस्याओं में आर्थिक क्षति, सांस्कृतिक विनाश, धार्मिक विकृति, आध्यात्मिक विद्रूपता, सामाजिक समरसता की हानि, मन, बुद्धि और विवेक में विकृति और पर्यावरण का विनाश सहित अनेक समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। इन पर गंभीरता से ध्यान देकर विश्व स्तर पर आवाज उठाने की जरूरत है। अहिंसावादी देश के रूप में भारत को इसकी पहल जल्द से जल्द करनी चाहिए

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