Hindi, asked by ved3246, 1 year ago

Bahaduri ka inaam kahani lekhan Hindi ​

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Answered by Lostinmind
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इन बच्चों ने कुछ अलग काम किया। बहादुरी का काम किया। ऐसा काम किया जिसे करने में बड़ों को भी पसीना छूट जाता है। ऐसा काम किया जिससे उनकी जान को भी खतरा हो सकता है। इसलिए उनके इस काम का सम्मान किया जाना जरूरी है। भास्कर डॉट कॉम गणतंत्र दिवस के अवसर पर पेश कर रहा है ऐसे ही वीरता पुरस्कार प्राप्त बच्चों की कहानी

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मुकेश निषाद

पिता-श्री संतोष निषाद

ग्राम भटगांव, जिला-दुर्ग

घटना दिनांक- १२.०५.२०१२

छह बच्चों की बचाई जान

छत्तीसगढ़ के के दुर्ग जिले में मजदूरी कर अपने परिवार का लालन पालन करने वाले 17 वर्षीय मुकेश निषाद ने खलिहान (अनाजघर) में छह बच्चों की जान बचाई। जिसके लिए उन्हे राष्ट्रीय वीरता सम्मान से नवाजा गया। ग्राम भटगांव, दुर्ग में बजरंग निषाद के खलिहान में आग लग गई जिसमें विभिन्न परिवार के छह बच्चे घिर गए। भीषण आग से धुंआ भर गया और सभी बच्चे घुटन महसूस करने लगे। सभी बच्चें रोने चिल्लाने लगे। उनकी हालत देख मुकेश अपनी जान जोखिम में डालते हुए आग लगे घर में घुसा और एक-एक कर सभी बच्चों को बाहर निकाल लिया। उसके परिवार में दो भाई और मां है। सात साल पहले उसके पिता का निधन हो गया। पिछले दस साल से वह पास के चावल फैक्टरी में मजदूरी कर रहा है और मां स्कूल में चपरासी है। परिवार की जिम्मेदारी उठा रहे 17 साल के मुकेश से भविष्य की योजना पर पूछा तो कहा कि उसका सपना है कि उसके दोनों छोटे भाई पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बने।

देवांश तिवारी

पिता-श्री किशोर तिवारी

बलौदा बाजार, जिला- बलौदाबाजार भाटापारा

घटना दिनांक- ०३.०६.२०१२

नन्हे देवांश ने सेप्टिक टैंक में डूब रहे दोस्त की बचाई जान

छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार का देवांश चौथी का छात्र है। पिछले साल शाम के समय लुका-छिपी खेलने के दौरान निर्माणाधीन सेप्टिक टैंक में अपने से करीब चार साल बड़े साथी शिखर को सूझ-बूझ से डूबने से बचाया। आरंग के एक निर्माणधीन सेप्टिक टैंक १० फुट गहरा था और पानी से भरा हुआ था । वहां देवांश अपने साथियों के साथ खेल रह था तभी शिखर का पांव फिसल गया और सेप्टिक टैंक में जा गिरा। डूबते हुए शिखर को बचाने के लिए देवांश ने अपना पैर पकड़ाया, और अपने दोस्त को खीचने लगा साथ ही बचाओ- बचाओ की आवाज लगाने लगा उसकी आवज को सुनकर स्थानीय लोग पहुचे और शिखर की जान बचाई। साढ़े आठ वर्षीय देवांश वीरता पुरस्कार पाने वाले सबसे कम उम्र के बच्चा हैं। सेना में जाने का शौक रखने वाले नन्हे देवांश के परिवार को फख्र है कि उनका बेटा दूसरों की जान बचाने के लिए इस उम्र में ही साहस का परिचय दिया।

कु. आकांक्षा गौते

पिता-श्री भुवनेश्वर राव गौते

वैशाली नगर, गुढिय़ारी , जिला- रायपुर

घटना दिनांक- ०२.०६.२०१२

मनचलों के छुड़ाए छक्के

रायपुर की 16 वर्षीय आकांक्षा अपने आत्मविश्वास से अन्य बालिकाओं के लिए मिसाल है। जूडो-कराटे में ब्लैक बेल्ट हासिल कर चुकी और राष्ट्रीय स्तर पर अनेक पदक हासिल करने वाली आकांक्षा अपने परिवार का पीछा कर रहे बदमाशों पर टूट पड़ी थी और अपने मार्शल आर्ट से उन बदमाशों को पुलिस तक पहुंचाया। स्कूल से अपने पिता के साथ घर लौटते हुए आकांक्षा का पांच बदमाशों ने पीछा किया तो उसने मोटरसाइकल से ही उन्हें पकड़ कर खींच लिया। लड़की के साहस को देखकर कुछ मनचले भाग गए थे। बहादुर लड़की के पिता का मानना है कि आज के दौर में हर लड़की को अपनी आत्मरक्षा के लिए कराटे या मार्शल आर्ट सीखनी चाहिए। इंजीनियर बनने की चाहत रखने वाली आकांक्षा के पिता भुवनेश्वर गौते उसे आइपीएस या आइएएस अधिकारी बनाना चाहते हैं, ताकि वह देश व समाज के लिए प्रशासनिक तौर पर कुछ कर सके।

गजेन्द्र राम

पिता-श्री सोहन राम

कुदुकेला, जिला- बिलासपुर

घटना दिनांक- 02.01.2012

जान पर खेल कर डुबती हुई बच्ची की जान बचाई

जशपुर के ग्राम कुदुकेला, के श्रीपाल सिंह की पुत्री कु. गायत्री नायक कुंए में गिर गई। कुंए की गहराई परवाह किए बगैर गजेन्द्र राम ने छलांग लगा दी।और कुं ए की तलहटी से गायत्री को निकालकर अपनी पीठ पर लादे हुए कुंए से बाहर निकालने की कोशिश करता रहा । बहुत कोशिशों के बाद जग कुछ नहीं सूझा तो वह कुंए में पत्थर से टिककर गायत्री को संभाले रखा । कुछ ग्रामीणों की नजर पड़ी तब दोना को सकुशल निकाला गया।

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