Bal mahabharat katha class 7 summary in hindi
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'बाल महाभारत' कथा भारत के पौराणिक ग्रंथ 'महाभारत' का संक्षिप्त रूप है। यह कहानी हमारे इतिहास का परिचय हमसे कराती है। इस कथा में उस समय के भारत के इतिहास, राजनीति, जन-जीवन, संस्कृति, धर्म-अधर्म आदि के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त होती है। यह कथा एक ही वंश के दो भाइयों के परिवारों के मध्य अधिकार को लेकर हुए युद्ध की कथा है। राजा विचित्रवीर्य के दो पुत्र धृतराष्ट्र और पांडु हुए थे। धृतराष्ट्र ज्येष्ट पुत्र थे। परन्तु जन्म से अंधे होने के कारण उन्हें राजा के पद के लिए उपयुक्त नहीं समझा गया। उनके स्थान पर उनके छोटे भाई पांडु को राजा के पद पर आसीन कर दिया गया। राजा पांडु किसी कारणवश राजपाट छोड़कर अपनी दोनों पत्नियों के साथ वन को चले गए। वहीं उनके पाँच पुत्रों ने जन्म लिया और उनका लालन-पालन भी वन में हुआ। पांडु होने के कारण वह पांडव कहलाए। हस्तिनापुर के सिंहासन को खाली नहीं रखा जा सकता था। अत: भीष्म पितामाह ने धृतराष्ट्र को सिंहासन पर बैठा दिया। राजा पांडु की मृत्यु के बाद पांडव हस्तिनापुर वापस आ गए। बड़े होने पर उन्होंने अपना अधिकार मांगा, तो धृतराष्ट्र के बड़े पुत्र दुर्योधन ने देने से इनकार कर दिया। उसने पांडवों को मारने के लिए बहुत-से षडयंत्र रचे और अंत में युद्ध की स्थिति पैदा हो गई। यह ऐसा युद्ध था, जिसमें पूरे भारतवर्ष के राजा युद्ध करने के लिए आमने-सामने आ गए। श्री कृष्ण ने पांडवों का साथ दिया। अंत में विजय पांडवों की हुई। दुर्योधन और उसके सारे भाई मारे गए। यह कथा हमें सत्य-असत्य, धर्म-अधर्म, न्याय-अन्याय आदि विषयों पर विचार करने के लिए मजबूर करती है। कृष्ण का 'गीता ज्ञान' हमें इसी कथा के मध्यान्तर में प्राप्त होता है। यह कथा नहीं है, शिक्षाओं का ग्रंथ है।