Bal majduri karvana galat hai par Vad Vivad in hindi
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बाल मजदूरी : रोक कितनी जरूरी
चाय की दुकानों, ढाबों पर काम करने वाले तमाम बच्चों की शक्लें तो आपको याद होंगी। शक्लें और नाम भले ही अलग-अलग हों लेकिन उनके हालात एक जैसे ही होते हैं। हम उन पर अफसोस जताकर अपनी राह चल देते हैं या फिर बालमजदूरी, कानूनों की कमी पर बहस छेड़ देते हैं। कुछ लोग तर्क देते हैं कि कमउम्र में रोजीरोटी कमाने का हुनर सीखना कम से कम गरीबी, बदहाली में जीने, भीख मांगने, चोरी करने से बेहतर ही है।
यह बहस दुनिया भर में छिड़ी है। लगभग दुनिया के हर देश में इसे रोकने के लिए नियम-कानून हैं, यह दूसरी बात है कि इन सभी देशों में बालश्रम किसी न किसी रूप में मिल जाएगा। इसके मूल में है गरीबी और बदहाली जो बच्चों को कमउम्र में रोजीरोटी जुटाने की चिंता में उलझा देती है। पर कुछ ऐसे लोग भी हैं जो कहते हैं कि बालमजदूी को लीगल बना देना चाहिए क्योंकि यह बच्चों और उनके परिवारों को इज्जत से जीने का मौका देती है। जरदोजी, मीनाकारी जैसे पारंपरिक उद्योगों से जुड़े लोग तर्क देते हैं कि यह भी एक तरह की शिक्षा है जहां आने वाली पीढ़ियां पारंपरिक हुनर को सीखती हैं और उसे जिंदा रखती हैं।
सवाल है, क्या बच्चों से बड़ों की तरह 8-10 घंटे जोखिम भरे काम करवाना, उनसे उनके खेलकूद के मौके छीनकर उनको असमय बड़ा बना देना शिक्षा कहलाएगा? पर क्या ये बच्चे दुकानों, ढाबों और उद्योगों से छूटकर स्कूल और खेल के मैदानों में जा पाएंगे? कुछ लोग नई राह सुझाते हैं, कहते हैं कि चाइल्ड लेबर और चाइल्ड वर्क के बीच में फर्क किया जाना चाहिए। चाइल्ड वर्क ऐसा बंदोबस्त कि बच्चों का हुनर विकसित हो और कुछ आमदनी भी मिले जिससे उनके परिवार आर्थिक रूप से मजबूत बनें।
बाल मजदूरी आज के युग में जो करवाते हैं वह मनुष्य नहीं हैवान है क्योंकि ऐसे लोग जल्लाद है जो काम करवाने वाले बच्चों को अपना बच्चा नहीं समझते।
शर्मनाक कांड करके भी ऐसे लोगों को शर्म नहीं आती है।आज के इस वर्तमान युग में जहां शिक्षा सभी लोगों का जन्म सिद्ध अधिकार है। वहीं दूसरी ओर गरीबी के कारण की बच्चें बाल मजदूरी करने पर मजबूर होते हैं।
इसी का फायदा वह लोग उठाते हैं जो फोकट में सब काम लेते हैं और बच्चों को दो वक्त की रोटी भी नहीं देते हैं।