Bal manovigyan par anuched likhiye
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बाल मनोविज्ञान सामान्य मनोविज्ञान की एक विशेष शाखा है जो बच्चों के विकास और व्यवहार पर केंद्रित है। बाल मनोविज्ञान में जन्म से किशोरावस्था तक के बच्चों का अध्ययन होता है। बाल मनोविज्ञान में शिक्षा मनोविज्ञान का भी अध्ययन होता है जो स्कूल जाने वाले बच्चों के शारीरिक, संवेगात्मक, संज्ञानात्मक और सामाजिक विकास का अध्ययन करता है। इसके साथ ही इस बात ध्यान केंद्रित करता है कि परिवेश और बाहरी प्रेरणा का सीखने के ऊपर क्या असर पड़ता है।
मस्तिष्क के क्षेत्र में होने वाले शोध (जैसे ब्रेन बेस्ड लर्निंग इत्यादि) का भी इस्तेमाल बाल मनोविज्ञान व शिक्षा के क्षेत्र में किया जा रहा है ताकि 21वीं सदी के ज्ञान और समझ का इस्तेमाल ज़मीनी स्तर पर बच्चों के बारे में समझ को वैज्ञानिक सोच के ज्यादा करीब लेकर आ सके। इसका उद्देश्य बच्चों के बारे नें पहले से बनी परंपरागत अवधारणाओं को चुनौती देना भी है ताकि लोग बच्चों को कच्ची मिट्टी का घड़ा या खिलौना न समझे, बल्कि उनके व्यक्तित्व को समझने की कोशिश करें और उसके व्यवहार को व्यक्तित्व के साथ जोड़कर देख सकें।बाल मनोविज्ञान का महत्व
बाल मनोविज्ञान बच्चों के व्यवहार से जुड़ी विभिन्न समस्याओं का विश्वसनीय समाधान देता है। उदाहरण के तौर पर अगर कोई बच्चा पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहा है, या फिर कोई बच्चा बहुत ज्यादा सक्रिय है, अवसाद, झिझक और विस्तर गीला करने जैसी समस्याओं का भी अध्ययन बाल मनोविज्ञान में किया जाता है। बाल मनोविज्ञान में आयु के अनुरूप शारीरिक व मानसिक विकास हो रहा है या नहीं इस बात का भी अध्ययन किया जाता है। इसके साथ ही बाल्यावस्था में संवेगात्मक व संज्ञानात्मक विकास से जुड़ी अवस्थाओं का भी अध्ययन किया जाता है।