Balgobin bhagat prativarsh ganga snan karne kyu jaate the ? Path ke aadhar par uttar dijiye ? (( Hope you give as soon as possible ))
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Hiiiii
गंगा स्नान करते वक्त बालगोविंद जी संतों के दर्शन के लिए जाते थे। ताकि संतों का आशीर्वाद उन पर हमेशा बना रहे।
गंगा उनके निवास स्थान से काफी दूर थी। लेकिन फिर भी वह हर वर्ष गंगा स्नान के लिए जाते थे।
वे साधुवाद की प्रथा को मानते थे। इसलिए घर से खाकर ही स्नान के लिए निकलते थे। फिर घर आकर ही वह खाते थे।
or
बालगोबिन भगत हर वर्ष गंगा स्नान पर जाते थे। गंगा-स्नान के
बहाने उन्हें संतों के दर्शन हो जाते थे। गंगा उनके गाँव से तीस कोस
दूर थी। वहाँ जाने में चार-पाँच दिन लग जाते थे। वे गंगा स्नान जाते
समय अपने घर से ही खा कर चलते थे और वापस अपने घर पर ही
आकर खाते थे। उनके अनुसार यदि वे साधु हैं तो साधु को कहीं
आते-जाते समय खाने की क्या आवश्यकता है और यदि वे गृहस्थी हैं
तो गृहस्थी को भिक्षा मांगकर खाना अच्छा नहीं है। इसलिए वे दोनों
कारणों से मार्ग में खाना नहीं लेते थे। मार्ग में प्यास लगने पर पानी
अवश्य पीते थे।
hope this helps!!
गंगा स्नान करते वक्त बालगोविंद जी संतों के दर्शन के लिए जाते थे। ताकि संतों का आशीर्वाद उन पर हमेशा बना रहे।
गंगा उनके निवास स्थान से काफी दूर थी। लेकिन फिर भी वह हर वर्ष गंगा स्नान के लिए जाते थे।
वे साधुवाद की प्रथा को मानते थे। इसलिए घर से खाकर ही स्नान के लिए निकलते थे। फिर घर आकर ही वह खाते थे।
or
बालगोबिन भगत हर वर्ष गंगा स्नान पर जाते थे। गंगा-स्नान के
बहाने उन्हें संतों के दर्शन हो जाते थे। गंगा उनके गाँव से तीस कोस
दूर थी। वहाँ जाने में चार-पाँच दिन लग जाते थे। वे गंगा स्नान जाते
समय अपने घर से ही खा कर चलते थे और वापस अपने घर पर ही
आकर खाते थे। उनके अनुसार यदि वे साधु हैं तो साधु को कहीं
आते-जाते समय खाने की क्या आवश्यकता है और यदि वे गृहस्थी हैं
तो गृहस्थी को भिक्षा मांगकर खाना अच्छा नहीं है। इसलिए वे दोनों
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