Hindi, asked by suryanshrao3897, 1 year ago

Balihari Guru Apno Kabir Ne Esa Kyu Kaha Hai?

Answers

Answered by piyushkumarpk428
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Answer:kyonki guru ne hi gobind ke bare me bataya hai. ESliye kabirdas ne aisa kaha hai.

Explanation:

Answered by ayushkumarshaw2021
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बलिहारी गुर आपणै, द्यौं हाड़ी के बार।

जिनि मानिष तैं देवता, करत न लागी बार ।।

शब्दार्थ - द्यौं हाड़ी = दिन में, बार =देर लगना/समय का लगना।

दोहे का अनुवाद/व्याख्या : गुरु की महिमा है की वह सामान्य जन को मनुष्य से देवता तुल्य बना देता है और ऐसा करने में उसे तनिक भी देर नहीं लगती है। ऐसे गुरु को मैं दिन में कितनी बार बलिहारी जाऊं/ नमन करूँ (द्यौं हाड़ी के बार), भाव है की ऐसे गुरु के चरणों में जितनी भी बार नमन करें कम ही होता है। वस्तुतः देवता से क्या आशय है ? देवता से भाव है की जो सामन्य जन जिसके सभी विकार दूर हो जाएँ, वही देवता है। गुरु भी अपने शिष्य के विकारों को दूर कर देता है और उसे शुद्ध करके देव रूप में ले जाता है, ऐसे गुरु को नमन है। यहाँ एक बात वर्तमान सन्दर्भ में उल्लेखनीय है किस कबीर साहेब ने गुरु की महिमा का जितना वर्णन किया है उससे भी अधिक वर्णन गुरु की पहचान/गुरु कैसा होना चाहिए इस पर बहुत जोर दिया है। वर्तमान में आप जो देखते हैं उन लोगों ने कपडे तो रंगवा लिए हैं लेकिन मन को नहीं रंगवाया है। 'जोगी मन नी रंगाया, रंगाया कापड़ा', इसलिए जो व्यक्ति माया के जाल में फंसा है, चाहे वो इसके कितने भी तार्किक कारन बताएं, गुरु नहीं है बल्कि कोई बहरूपिया है, जिसे जानने और समझने की आवश्यकता है।

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