Banchit bastu hume kaise prapt hogi
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धन ही सुख, ऐश्वर्य एवं कीर्ति वैभव प्रदान करता है। ऐसा इसलिए कहते हैं कि क्योंकि शास्त्रों मे धन को मां लक्ष्मी का रूप माना है। जहां ‘मां लक्ष्मी’ की मात्रछाया हो, वहां से दुख, दारिद्रय एवं कष्ट कोसों दूर चले जाते हैं।वास्तु शास्त्र एक ऐसा शास्त्र है, जो जीवन के प्रत्येक पहलू पर प्रभाव डालता है। इसके द्वारा ही लक्ष्मी के आगमन का मार्ग् प्रशस्त होता है। क्योंकि लक्ष्मी स्वाभाविक रूप से उसी स्थान पर आती है। जहां पवित्रता एवं सात्विकता परिलक्षित होती है। वास्तु में ऐसे ही विभिन्न उपक्रमों की व्याख्या है। इनका प्रयोग आवासीय मकान तथा व्यावसायिक परिसर कहीं पर भी किया जा सकता है। लक्ष्मी की प्रवृत्ति ऐसी है कि वह किसी स्थान पर अधिक समय तक नहीं टिकती। क्योंकि लक्ष्मी को चंचल स्वभाव का भी कहा जाता है। इसके कई कारण हैं। इन कारणों में प्रमुख है- वास्तुदोष। यदि वास्तुदोषों का निवारण कर दिया जाए तो मां लक्ष्मी की ममतामयी छाया दीर्घकाल तक परिवार में बनी रह सकती है। जीवन में हमें बड़ी सी बड़ी और छोटी सी छोटी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए धन की आवश्यकता होती है। धन के अभाव में ही रिश्तेदार, सगे-संबंधी तथा मित्रों से भी दूरी बना लेते हैं। अतः धन का महत्व स्पष्ट और जगजाहिर है। मनुष्य की तीन मौलिक आवश्यकताएं होती हैं- रोटी, कपड़ा और मकान। रोटी यानी भोजन की व्यवस्था तो जानवर और पक्षी भी करते हैं तथा अपने रहने के लिए घरौंदा बना लेते हैं। परंतु मनुष्य-जीवन में घर का अपना महत्व है। वह घर घर नहीं है; जहां पर सुख, संपत्ति और शांति, लक्ष्मी का वास न हो। वह तो सिर्फ ईंट, पत्थरों एवं सीमेंट से बना एक मकान ही रह जाता है। क्योंकि किसी भी मकान का घर बनाने के लिए कई आवश्यकताओं और उप्रकमों को पूरा
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