bati bachayo bati parayo par sandesh likhan in hindi
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Explanation:
- means
हमारे पुरुष प्रधान भारत देश में बालिकाओं की दशा अच्छी नहीं है। कई लोग घर में बेटी का जन्म होना अच्छा नहीं मानते और कई बार तो उन्हें जन्म लेने से पहले ही उनकी हत्या कर दि जाती है। ऐसे लोगो का मानना है कि बेटियां बोझ होती है और बेटे कमाई का साधन।
ये सिर्फ इंसानों की दकियानूसी सोच ही है, वरना आज के इस युग में महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं है। कल्पना चावला, किरण बेदी, किरण मजूमदार शॉ,पीटी ऊषा, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल ने भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्धि प्राप्त की है।
प्रियंका चोपड़ा, ऐश्वर्या राय, लारा दत्ता, सुष्मिता सेन ने दुनिया में भारतीय सुंदरता और समझदारी का झंडा फहराया। सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में भी महिलाओं के प्रतिशत में बहुत अधिक बढ़ोतरी हुई है।
आज महिलाएं घरों में बंद एक अबला नहीं है बल्कि एक शक्तिशाली व्यक्त्तिव की मालकिन बन गई है। खेल, चिकित्सा, व्यापार, राजनीति, फिल्म, वकालत जैसे सारे क्षेत्रों में महिलाओं की शक्ति साफ नजर आती है।
फिर भी कुछ तुच्छ मानसिकता के लोग बेटियों को उचित शिक्षा नहीं देते है और उन्हें घर के काम काज में लगा देते हैं, और बेटों को उच्च शिक्षा दिलाते हैं। जिसकी वजह से बालिकाओं का भविष्य अंधेरे में चला गया है।
बालिकाओं को किसी परिवारिक निर्णय या फैसले पर अपनी बात कहने का भी हक नहीं मिलता है। उनको हर वस्तु से वंचित रखा जाता है| कुछ घरों में तो बालिकाओं के साथ जैसे किसी वस्तु की तरह बर्ताव किया जाता है और उन्हें स्नेह, ममता और प्यार तो सपने में भी नहीं मिलता।
देश के कई राज्यों में लिंगानुपात अत्यधिक गिर गया है और बेटियों की संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। इसे देखते हुए सरकार ने एक योजना का शुभारंभ किया ताकि देश की बेटियों की स्थिति में सुधार किया जा सके। किसी ने सही कहा है –
कैसे खाओगे उनके हाथ की रोटियां,
जब पैदा ही नहीं होने दोगे बेटियां।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का शुभारंभ
बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना का अर्थ है कन्या शिशु को बचाइए और इन्हें शिक्षित कीजिए। हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 22 जनवरी 2015 को बालिका दिवस के मौके पर इस योजना की शुरुआत की।
जिससे समाज में बेटियों को उनके अधिकार मिल सकें। इस योजना के लिए सरकार ने 100 करोड़ रूपए का बजट तय किया है| इस योजना की शुरुआत के समय नरेंद्र मोदी जी ने कहा कि “हम भारतीयों को घर में कन्या की जन्म को एक उत्सव की तरह मनाना चाहिए| हमें अपने बच्चियों पर गर्व करना चाहिए|”
भारत में 2001 की जनगणना में 0-6 वर्ष के बच्चों का लिंग अनुपात का आंकड़ा 1000 लड़कों के अनुपात में लड़कियों की संख्या 927 थी। जो कि 2010 की जनगणना में घटकर 1000 लड़कों के अनुपात में 918 लड़कियां हो गई। ये एक चिंता का विषय है इसलिए सरकार को ये योजना शुरू करने की आवश्यकता महसूस हुई।
UDESYA
इस अभियान के मुख्य उद्देश्य बालिकाओं की सुरक्षा करना और कन्या भ्रूण हत्या को रोकना है। इसके अलावा बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देना और उनके भविष्य को संवारना भी इसका उद्देश्य है। सरकार ने लिंग अनुपात में समानता लाने के लिए ये योजना शुरू की।
ताकि बालिकाएं दुनिया में सर उठकर जी पाएं और उनका जीवन स्तर भी ऊंचा उठे। इसका उद्देश्य बेटियों के अस्तित्व को बचाना एवं उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना भी है। शिक्षा के साथ-साथ बालिकाओं को अन्य क्षेत्रों में भी आगे बढ़ाना एवं उनकी इसमें भागीदारी को सुनिश्चित करना भी इसका मुख्य लक्ष्य है|
इस अभियान के द्वारा समाज में महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय और अत्याचार के विरूद्ध एक पहल हुई है। इससे बालक और बालिकाओं के बीच समानता का व्यवहार होगा। बेटियों को उनकी शिक्षा के लिए और साथ ही उनके विवाह के लिए भी सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी, जिससे उनके विवाह में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी।
इस योजना से बालिकाओं को उनके अधिकार प्राप्त होंगे जिनकी वे हकदार हैं साथ ही महिला सशक्तिकरण के लिए भी यह अभियान एक मजबूत कड़ी है।