बच्चे शोर मचाएंगे को कर्मवाच्य में बदले
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वाच्य: वाच्य का अर्थ है बोलने का विषय। अतः क्रिया के जिस रुप से पता चले की क्रिया का मुख्य विषय कर्ता है ,कर्म है अथवा भाव उसे वाच्य कहते हैं।
वाच्य के दो भेद हैं।
कृत्यवाच्य और अकृतवाच्य
कृत्यवाच्य : इसमें कथन का केंद्र कर्ता होता है ।कर्म गौण होता है । कृतवाच्य में क्रिया अकर्मक भी हो सकती है और सकर्मक भी।
अकृतवाच्य : जिन वाक्यों में करता गौण या लुप्त होता है उसे अकृतवाच्य कहते हैं। अकृतवाच्य के दो भेद है : कर्मवाच्य और भाववाच्य।
कर्मवाच्य : किस वाक्य में केंद्र बिंदु कर्ता ना होकर कर्म हो उसे कर्मवाच्य कहते हैं।
भाववाच्य: जिस वाक्य में कर्ता की प्रधानता ना होकर अकर्मक क्रिया का भाव प्रमुख हो उसे भाववाचय कहते हैं।
क) सीमा के द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है।
ख) मैं अब चल नहीं सकता।
ग) मैं इतने कम प्रकाश में पढ़ नहीं सकता।
घ) उन लोगों से शांत नहीं रहा जा सकता है।
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