Hindi, asked by veerkaran5136, 5 months ago

बचपन में सुना था— 'खेलोगे, कूदोगे होगे खराब।' कुछ लोग आज भी सोचते हैं कि खेलने-कूट
समय नष्ट होता है और स्वास्थ्य बनाने के लिए व्यायाम कर लेना काफ़ी है। पर अपने अनुभव से में
सकता हूँ कि यह विचार ठीक नहीं। खेल-कूद से स्वास्थ्य तो बनता ही है, साथ-साथ छात्र कुछ न
गुण भी सीखता है जिनका जीवन में विशेष महत्व है और जो व्यायाम से प्राप्त नहीं होते। सहयोग
काम करना, विजय मिलने पर अभिमान न करना, हार जाने पर साहस न छोड़ना, विशेष ध्येय के
नियमपूर्वक कार्य करना आदि गुण खेलों के द्वारा अनायास ही सीखे जा सकते हैं। लोग सफलतः
पाने पर साहस छोड़ बैठते हैं और पुनः प्रयास नहीं करते, परंतु अच्छा खिलाड़ी हारने पर भी प्रय
करता रहता है ताकि वह आगे चलकर हारी हुई बाजी जीत सके। इन बातों से प्रतीत होता है कि खेलने
मैदान में केवल स्वास्थ्य ही नहीं बनता, वरन मनुष्य भी बनता है।
प्रश्न-​

Answers

Answered by priya77867
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Answer:

legal kutta hai tu I hate you

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