बडे भाई साहब पाठ के आधार पर तलकालीन शिबक्षा वपवरुथा और आज्ञ की शिक्षा की तुलबा करता हुए ४०० शब्दों में व्यपाक रीट्वीट तमार करे class10 eassy on it
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बड़े भाई साहब ने उस समय की शिक्षा प्रणाली में जिन कमियों की ओर संकेत किया है उनमें मुख्य हैं-एक ही परीक्षा द्वारा छात्रों का मूल्यांकन अर्थात् वार्षिक परीक्षा के परिणाम पर ही छात्रों का भविष्य निर्भर करता था। इस प्रणाली से रटने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता था। इसमें छात्रों के अन्य पहलुओं के मूल्यांकन की न तो व्यवस्था थी और न उन्हें महत्त्व दिया जाता था। इसके अलावा परीक्षकों का दृष्टिकोण भी कुछ ऐसा था कि वे छात्रों से उस तरह के उत्तर की अपेक्षा करते थे जैसा पुस्तक में लिखा है। किताब से उत्तर अलग होते ही शून्य अंक मिल जाते थे। यद्यपि इन कारणों से ही भाई साहब अपने फेल होने का दोष परीक्षा प्रणाली पर नहीं डाल सकते हैं। वे खुद भी तो समझकर पढ़ने के बजाय रटकर पढ़ते थे जो उनके फेल होने का कारण बनी। इस तरह भाई साहब के विचारों से मैं सहमत नहीं हूँ। पास होने के लिए उन्हें विषयों को समझकर पढ़ने की जरूरत होती है जो उन्होंने नहीं किया।