Besahara bujurgo ke prati nibandh
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जीवन की दो अवस्था ऐसी होती है, जिसमे हम दूसरों पर निर्भर रहते है| वे अवस्था है – बाल्यावस्था और वृद्धावस्था| जब हम बालक होते है| तब कई कामों के लिए हम अपने माता-पिता पर निर्भर होते है| उसी प्रकार जब हम वृद्धावस्था में आते है तब हम अपने बच्चों पर निर्भर होने लगते है| वृद्धावस्था उम्र का वो आखिरी पड़ाव होता है ,जब व्यक्ति को अनेक शारीरिक और मानसिक समस्याएं होने लगती है| और कुछ लोग को तो इस अवस्था में अकेलापन सताने लगता है| क्योंकि जब इनके बच्चे बड़े हो जाते है और उनकी शादी हो जाती है| तो वे अपनी ही दुनिया में मगन रहने लगते है| और अपने बुजुर्ग माता-पिता पर ध्यान नहीं दे पाते है| और कुछ लोग तो ऐसे भी होते है जो जानबूझ कर अपने बुजुर्गो की देखभाल नहीं करते है| और उन्हें उनके अंतिम पड़ाव पर अकेला छोड़ देते है| लेकिन वे लोग ये नहीं जानते है कि एक दिन उन्हें भी इस अवस्था से गुजरना होगा| और जैसे आज वे अपने बुजुर्ग माता-पिता को अकेला और लाचार छोड़ रहे है| वैसे एक दिन उनके बच्चे भी उन्हें इसी तरह छोड़ देंगे| क्योंकि मनुष्य को अपने कर्मो का फल इसी दुनिया में भोगना पड़ता है| वो जैसा करता है ,उसे आगे चलकर उसका वैसा ही फल मिलाता है| इसलिए हमें हमेशा अपने बुजुर्गो की देखभाल करना चाहिए| लेकिन हमें हमारे बुजुर्गो की देखभाल कैसे करना चाहिए ये हम आपको इन टिप्स के माध्यम से बताने जा रहे है –
सबसे पहले तो हमें बुजुर्गो के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए|
उनके लिए समय निकलना चाहिए ताकि उन्हें अकेलापन महसूस न हो|
उनकी सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि बुढ़ापे में भूख लगना कम हो जाती है जिसके कारण अनेक बीमारिया घेरने लगती है| इसलिए इनके खानपान का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए|
बुजुर्गो को प्रतिदिन योग और व्यायाम करने के लिए प्रेरित करना चाहिए जिससे वे शारीरक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ रह सके|
अपनी समस्याए उसके साथ शेयर करना चाहिए और उसका हल उनसे पूछना चाहिए ताकि उन्हें ये लगे कि घर में उनका एक विशेष स्थान है|
उन्हें मान सम्मान देना चाहिए और कुछ भी ऐसा नहीं बोलना चाहिए जिससे उनके मन को ठेस लगे|
अगर आपके घर के बच्चे उनके साथ गलत व्यवहार कर रहे है तो उन्हें भी ऐसा करने से रोकना चाहिए|
उनके साथ बैठकर कभी-कभी खाना भी खाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से उन्हें अपनेपन का एहसास होता है|
उन्हें स्वेच्छा से काम करने के लिए प्रेरित करे| क्योंकि जो लोग स्वेच्छा से कार्य करते है वे सेहतमंद और खुश रहते है|
हमें बुजुर्गो के अनुभवों को ध्यान में रखना चाहिए क्योंकि इनके अनुभव ज्ञान का खजाना होते है| जो हर परेशानी से हमें बाहर निकाल लेते है|
हमें उनके जीवन में ज्यादा रोकटोक नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से उनकी मानसिक स्थिति भी खराब हो सकती है| इसलिए जब तक उनके हाथ-पाव चले तब तक उन्हें उनके काम स्वयं करने देना चाहिए|
उनकी हर प्रकार की जरुरत का हमें ध्यान रखना चाहिए|
अगर उन्हें किसी भी प्रकार की बीमारी हो तो डांक्टर को तुरंत दिखाना चाहिए| उसे अनदेखा नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करना उनके स्वस्थ से लिए हानिकारक हो सकता है|
और अपने जीवन की हर खुशी में उन्हें शामिल करना चाहिए|
उनके गुस्सा होने पर भी उनके साथ गलत व्यवहार कभी भी नहीं करना चाहिए|
सबसे पहले तो हमें बुजुर्गो के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए|
उनके लिए समय निकलना चाहिए ताकि उन्हें अकेलापन महसूस न हो|
उनकी सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि बुढ़ापे में भूख लगना कम हो जाती है जिसके कारण अनेक बीमारिया घेरने लगती है| इसलिए इनके खानपान का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए|
बुजुर्गो को प्रतिदिन योग और व्यायाम करने के लिए प्रेरित करना चाहिए जिससे वे शारीरक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ रह सके|
अपनी समस्याए उसके साथ शेयर करना चाहिए और उसका हल उनसे पूछना चाहिए ताकि उन्हें ये लगे कि घर में उनका एक विशेष स्थान है|
उन्हें मान सम्मान देना चाहिए और कुछ भी ऐसा नहीं बोलना चाहिए जिससे उनके मन को ठेस लगे|
अगर आपके घर के बच्चे उनके साथ गलत व्यवहार कर रहे है तो उन्हें भी ऐसा करने से रोकना चाहिए|
उनके साथ बैठकर कभी-कभी खाना भी खाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से उन्हें अपनेपन का एहसास होता है|
उन्हें स्वेच्छा से काम करने के लिए प्रेरित करे| क्योंकि जो लोग स्वेच्छा से कार्य करते है वे सेहतमंद और खुश रहते है|
हमें बुजुर्गो के अनुभवों को ध्यान में रखना चाहिए क्योंकि इनके अनुभव ज्ञान का खजाना होते है| जो हर परेशानी से हमें बाहर निकाल लेते है|
हमें उनके जीवन में ज्यादा रोकटोक नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से उनकी मानसिक स्थिति भी खराब हो सकती है| इसलिए जब तक उनके हाथ-पाव चले तब तक उन्हें उनके काम स्वयं करने देना चाहिए|
उनकी हर प्रकार की जरुरत का हमें ध्यान रखना चाहिए|
अगर उन्हें किसी भी प्रकार की बीमारी हो तो डांक्टर को तुरंत दिखाना चाहिए| उसे अनदेखा नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करना उनके स्वस्थ से लिए हानिकारक हो सकता है|
और अपने जीवन की हर खुशी में उन्हें शामिल करना चाहिए|
उनके गुस्सा होने पर भी उनके साथ गलत व्यवहार कभी भी नहीं करना चाहिए|
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