Beti Bachao beti padhao awashyak hai ya aupcharikTa ke upar Ek essay Likhi ye 250 to 500 words
Answers
Answered by
4
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ एक सरकारी योजना है जिसे भारत के प्रधानमंत्री ने जनवरी 2015 में शुरु किया है। लड़कियों की सामाजिक स्थिति में भारतीय समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने के लिये इस योजना का आरंभ किया गया है। भारतीय समाज में छोटी लड़कियों पर बहुत सारे प्रतिबंध किये जाते है जो उनकी उचित वृद्धि और विकास में रोड़ा बना हुआ है। ये योजना छोटी लड़कियों के खिलाफ होने वाले अत्यचार, असुरक्षा, लैंगिक भेदभाव आदि को रोकेगा। 18वीं सदी के लोगों की बजाय आधुनिक में समय महिलाओं के प्रति लोगों की मानसिकता ज्यादा घटिया होती जा रही है। इस कार्यक्रम की शुरुआत करते समय प्रधनमंत्री ने कहा कि, भारतीय लोगों की ये सामान्य धारणा है कि लड़कियाँ अपने माता-पिता के बजाय पराया धन होती है। अभिवावक सोचते है कि लड़के तो उनके अपने होते है जो बुढ़ापे में उनकी देखभाल करेंगे जबकि लड़कियाँ तो दूसरे घर जाकर अपने ससुराल वालों की सेवा करती हैं।
लड़कियों के बारे में 21वीं सदी में लोगों की ऐसी मानसिकता वाकई शर्मनाक है और जन्म से लड़कियों को पूरे अधिकार देने के लिये लोगों के दिमाग से इसे जड़ से मिटाने की जरुरत है।
छोटी लड़कियों की स्थिति अंतिम दशक में बहुत खराब हो चुकी थी क्योंकि कन्या भ्रूण हत्या एक बड़े पैमाने पर अपना पैर पसार रही थी। उच्च तकनीक के द्वारा लिंग का पता लगाकर जन्म से पहले ही लड़कियों को उनके माँ के गर्भ में ही मार दिया जाता था। लड़कियों की संख्या को कम करने के लिये ये प्रथा प्रचलन में थी साथ ही साथ परिवार एक लड़की की जिम्मेदारी तुच्छ समझता है। योजना की शुरुआत करने के लिये सबसे बेहतर जगह के रुप में हरियाणा को चुना गया था क्योंकि देश में (775 लड़कियाँ/1000 लड़के) लड़कियों के लिंगानुपात हरियाणा के महेन्द्रगण जिला में सबसे खराब है।
लड़कियों के बारे में 21वीं सदी में लोगों की ऐसी मानसिकता वाकई शर्मनाक है और जन्म से लड़कियों को पूरे अधिकार देने के लिये लोगों के दिमाग से इसे जड़ से मिटाने की जरुरत है।
छोटी लड़कियों की स्थिति अंतिम दशक में बहुत खराब हो चुकी थी क्योंकि कन्या भ्रूण हत्या एक बड़े पैमाने पर अपना पैर पसार रही थी। उच्च तकनीक के द्वारा लिंग का पता लगाकर जन्म से पहले ही लड़कियों को उनके माँ के गर्भ में ही मार दिया जाता था। लड़कियों की संख्या को कम करने के लिये ये प्रथा प्रचलन में थी साथ ही साथ परिवार एक लड़की की जिम्मेदारी तुच्छ समझता है। योजना की शुरुआत करने के लिये सबसे बेहतर जगह के रुप में हरियाणा को चुना गया था क्योंकि देश में (775 लड़कियाँ/1000 लड़के) लड़कियों के लिंगानुपात हरियाणा के महेन्द्रगण जिला में सबसे खराब है।
ssp192004:
thank u
Answered by
0
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ एक सरकारी योजना है जिसे भारत के प्रधानमंत्री ने जनवरी 2015 में शुरु किया है। लड़कियों की सामाजिक स्थिति में भारतीय समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने के लिये इस योजना का आरंभ किया गया है। भारतीय समाज में छोटी लड़कियों पर बहुत सारे प्रतिबंध किये जाते है जो उनकी उचित वृद्धि और विकास में रोड़ा बना हुआ है। ये योजना छोटी लड़कियों के खिलाफ होने वाले अत्यचार, असुरक्षा, लैंगिक भेदभाव आदि को रोकेगा। 18वीं सदी के लोगों की बजाय आधुनिक में समय महिलाओं के प्रति लोगों की मानसिकता ज्यादा घटिया होती जा रही है। इस कार्यक्रम की शुरुआत करते समय प्रधनमंत्री ने कहा कि, भारतीय लोगों की ये सामान्य धारणा है कि लड़कियाँ अपने माता-पिता के बजाय पराया धन होती है। अभिवावक सोचते है कि लड़के तो उनके अपने होते है जो बुढ़ापे में उनकी देखभाल करेंगे जबकि लड़कियाँ तो दूसरे घर जाकर अपने ससुराल वालों की सेवा करती हैं।
लड़कियों के बारे में 21वीं सदी में लोगों की ऐसी मानसिकता वाकई शर्मनाक है और जन्म से लड़कियों को पूरे अधिकार देने के लिये लोगों के दिमाग से इसे जड़ से मिटाने की जरुरत है।
लड़कियों के बारे में 21वीं सदी में लोगों की ऐसी मानसिकता वाकई शर्मनाक है और जन्म से लड़कियों को पूरे अधिकार देने के लिये लोगों के दिमाग से इसे जड़ से मिटाने की जरुरत है।
Similar questions