Hindi, asked by itssme1312, 1 year ago

Beti bachao Beti padhao Marathi best nibandh

Answers

Answered by Anonymous
33

भूमिका : पृथ्वी पर मानव जाति का अस्तित्व , आदमी और औरत दोनों की समान भागीदारी के बिना संभव नहीं होता है। दोनों ही पृथ्वी पर मानव जाति के अस्तित्व के साथ-साथ किसी भी देश के विकास के लिए समान रूप से जिम्मेदार है। महिलाएं पुरुषों से अधिक महत्वपूर्ण होती हैं क्योंकि महिलाओं के बिना मानव जाति की निरंतरता के बारे में कल्पना भी नहीं की जा सकती हैं क्योंकि महिलाएं ही मानव को जन्म देती हैं।



ताजनक विषय बन चुका है।

लडकियों को समाज में कन्या भ्रूण हत्या का सामना करना पड़ता है। लेकिन अगर कोई लडकी पैदा भी हो जाती है तो जन्म के बाद बहुत सारे सामाजिक अत्याचारों का सामना करना पड़ता है जैसे – लडकियों को शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रखना , उन्हें समाज में अपने सही अधिकार के लिए लड़ना आदि। इन सभी आत्याचारों को खत्म करने के लिए यह अभियान बहुत हद तक सफल रहा है।

इस अभियान के द्वारा हमारे समाज में बेटियों को हक दिलाना और उन्हें अपनी जिन्दगी जीने की छूट देना संभव हो सकता है। आज के समय में हर परिवार में लडके और लडकियों में कहीं-न-कहीं अंतर किया जाता है जिसमें गलती हमारी सोच की होती है। बहुत से परिवारों में लडकियों को लडकों जितना दर्जा नहीं दिया जाता है। लडकियों को कुछ करने की आजादी नहीं होती है।

बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान के द्वारा हम लडकियों पर होने वाले अत्याचारों को कुछ हद तक रोक सकते हैं। इस अभियान के माध्यम से ही कन्या भ्रूण हत्या को रोका जा सकता है। इस अभियान के माध्यम से लडकियों के लिए समाज में एक सुरक्षित माहौल पैदा किया जा सकता है। इससे लडकियों को खुली जिंदगी जीने के अवसर मिल जाता है और समाज की लड़का लडकी की सोच पर लगाम लगाया जा सकता है।

बेटियों को पढ़ाकर हम अपने समाज की प्रगति को एक गति प्रदान कर सकते हैं। हम अपनी बेटियों को पढ़-लिखकर अपने सपनों को हासिल करने का मौका दे सकते हैं जो भविष्य में कन्या भ्रूण हत्या और दहेज प्रथा को ना कहने की हिम्मत देगा। बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान हमारे देश के प्रधानमंत्री द्वारा चलाया गया एक मुख्य अभियान है। भारत का यह सपना है कि लडकियों को उनका अधिकार देना चाहिए और एक स्वस्थ समाज का निर्माण करना चाहिए।


बेटी बचाओं अभियान को लोगों द्वारा एक विषय के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए ये एक सामाजिक जागरूकता का मुद्दा है जिसे गंभीरता से लेने की जरूरत लेनी चाहिए। लोगों द्वारा लडकियों को बचाना और सम्मान किया जाना चाहिए क्योंकि लडकियाँ पुरे संसार के निर्माण की शक्ति रखती हैं।

लडकियाँ भी देश के विकास और वृद्धि के लिए समान रूप से आवश्यक होती हैं। एक बेटी से नफरत , मृत्यु और अपमान नहीं किया जाना चाहिए। समाज और देश की भलाई के लिए उसे सम्मानित और प्यार किया जाना चाहिए। लडकियाँ लडकों की तरह देश के विकास में समान रूप से भागीदार है।

hope it is helpful for you

please mark as brainliest


Answered by AbsorbingMan
40

संपूर्ण भारतमध्ये मुलींना शिक्षित करणे आणि त्यांना वाचवणे, पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी बेटी बचावा-बेटी शिकवओ नावाने मुलींसाठी एक योजना सुरू केली. त्याची सुरुवात हरियाणा के पानीपतमध्ये 22 जानेवारी 2015, गुरुवारी झाली. संपूर्ण देश में हरियाणामध्ये लिंगप्रपूत 775 मुलींवर 1000 मुले आहेत, ज्यामुळे बेटींची दयनीय स्थिती दर्शविली जाते, म्हणूनच हा प्रकल्प सुरू झाला. मुलींचे दशा सुधारणेसाठी संपूर्ण देशात 100 जिल्हे मध्ये प्रभावीपणे लागू केले गेले आहे, सर्वात कमी स्त्री-पुरुषाचे प्रमाण 12 जिल्ह्यांमधील हरियाणा (अंबाला, कुरुक्षेत्र, रिवरी, बिवानी, महेन्द्रगण, सोनीपत, झज्जर , रोहतक, कर्णल, यमुना नगर, पानीपत आणि कैथल) यांना निवडले गेले.

मुलींचे दशा सुधारणे आणि त्यांना महत्त्व देणे हरियाणा सरकार 14 जानेवारी रोजी 'बेटी की लोहडी' नावाचा एक कार्यक्रम साजरा केला जातो. या योजनेचा उद्देश्य मुलींना सामाजिक व आर्थिक रूपाने स्वतंत्र करणे यामुळे त्यांना योग्य अधिकार आणि उच्च शिक्षण दिले जाऊ शकते. आम जन जागरुकता फैलावणे हे मदत करते तसेच महिलांना दिलेले लोक कल्याणकारी सेवा देखील वाढवितात. जर आपण 2011 च्या सेन्सस रिपोर्टवर नजर ठेवली तर आम्ही लक्षात घेतो की गेल्या काही दशकापासून 0 ते 6 वर्षाच्या मुलींची संख्या सतत सतत घसरण होत आहे. 2001 मध्ये हे 927/1000 होते, तर 2011 मध्ये ते आणखी कमी झाले आणि 9 1 9/1000 वर आले. रुग्णालयांमध्ये आधुनिक लक्षण यंत्रणेद्वारे लिंग ओळखणे, गर्भपात कन्या भ्रूण हत्या करणे यामुळे मोठ्या संख्येने कमीतकमी मुलींची संख्या कमी झाली आहे. समाजात लैंगिक भिन्नतामुळे या वाईट प्रथा अस्तित्त्वात आल्या.

जन्म झाल्यानंतरही मुलींना अनेक प्रकारचे विभेदभाव होण्याची गरज असते जसे कि शिक्षण, आरोग्य, सुरक्षा, खानपान, अधिकार इत्यादि. इतर मुलींनाही जे मिळाले पाहिजे तेच पाहिजे. आम्ही म्हणू शकतो की स्त्रियांना सशक्त करणे ऐवजी अशक्त केले जात आहे. महिलांनी सशक्त बनविणे आणि जन्मापासूनच अधिकार देणे ही सरकारची सुरूवात आहे. महिलांचे सशक्तिकरण ते सगळे स्थान प्रगति होईल विशेषतः कुटुंब आणि समाज. मुलींसाठी मानव च्या नकारात्मक पूर्वाग्रहांना सकारात्मक बदल करणे हे या योजनेसाठी एक मार्ग आहे. हे शक्य आहे की या योजनेपासून मुले आणि मुलींचे प्रतिभेद समाप्त होते आणि कन्या भ्रूण हत्याकांड पूर्ण होते हे मुख्य कडी सिद्ध होते. सुरुवातीला या योजनेची सुरुवात पीएम मोदी ने डॉक्टरांना केली होती, याची आठवण करून दिली की चिकित्सा व्यवसायासाठी लोकांना जीवन जगण्याची इच्छा आहे, नाहीतर त्यांची संपत्ती आहे.

Similar questions