बगुला समाज के किस वर्ग का प्रतीक है
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सतर्कता का प्रतीक है ......
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बगुला समाज के पाखंडी और ढोंगी वर्ग का प्रतीक है।
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प्रस्तुत प्रश्न" चंद्रगहना से लौटती बेर" पाठ का हिस्सा है। "चंद्रगहना से लौटती बेर" के कवि केदारनाथ अग्रवाल हैं | प्रस्तुत कविता में कवि का प्रकृति के प्रति गहन अनुराग व्यक्त हुआ है प्रकृति का मानवीकरण किया गया है ,। कवि चंद्र गहना नामक स्थान से लौट रहा है। लौटते हुए उसके किसान मन को खेत-खलिहान एवं उनका प्राकृतिक परिवेश सहज आकर्षित कर लेता है।
बगुला समाज में ऐसे ढोंगी और पाखंडी वर्ग का प्रतीक है, उसके अपने चेहर पर दोहरा मुखौटा लगा लेता हैं। बगुला दोहरा व्यक्तित्व जीते हैं।
बगुला तालाब में स्थिर होकर खड़ा रहता है, दिखाता है- संत और सीधा-साधा प्राणी हो। वह स्वयं को प्रतीक करता हैं. उससे किसी को कोई भय नहीं होना चाहिए।
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