Science, asked by PragyaTbia, 1 year ago

भंडार गृहों (गोदामों) में अनाज की हानि कैसे होती है?

Answers

Answered by nikitasingh79
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उत्तर:  

भंडार गृहों (गोदामों) में अनाज की हानि दो प्रकार से होती है :  

जैविकीय कारक (biotic factors) और अजैविकीय कारक (abiotic factors) ।

जैविकीय कारक (biotic factors) :  

  • कृंतक (गिलहरी, चूहा आदि) , पक्षी (तोता, बुलबुल ,कबूतर ,कौआ इत्यादि),  कुटकी (mites) घरों तथा गोदामों में रखे खाद्यान्नों को हानि पहुंचाते हैं । इनके बालों, पंखों तथा मल मूत्र से खाद्यान्नों का संक्रमण होता है।
  • सूक्ष्मजीव : विभिन्न जीवाणु तथा फफूंदी खाद्यान्नों में रासायनिक परिवर्तन के फल स्वरुप इन की संरचना में परिवर्तन कर देते हैं और इस प्रकार अनाज को हानि पहुंचती है।
  • कीट (घुन, दाल भृंग, आटा  भृंग,आदि ) : ये कीट कच्चे खाद्यान्न जैसे अनाज ,दालें आदि को हानि पहुंचाती हैं। वे इन्हें अपने मल मूत्र से दूषित कर देती है।
  • एंजाइम : यह जीव उत्प्रेरक है जो जीवित कोशिका में पाए जाते हैं। ये अधिक समय तक भंडारित किए गए फल, सब्जियों आदि को खराब कर देते हैं।

अजैविकीय कारक (abiotic factors)  :  

  • नमी की मात्रा :  भंडारित करते समय खाद्य पदार्थ में अधिक नमी नहीं होनी चाहिए। खाद्य पदार्थ में नमी की मात्रा इसके भार की 14% से अधिक नहीं होनी चाहिए। खदानों में अधिक नमी होने पर -  
  1. इसके दानों का आकार बढ़ जाता है।
  2. सूक्ष्मजीव अधिक सक्रिय हो जाते हैं।
  3. कीट द्वारा संक्रमण की संभावना अधिक हो जाती है।
  4. आर्द वायु में फफूंदी आदि के उगने की संभावना अधिक होती है।
  • तापमान‌:  कम ताप पर एंजाइम, कीट तथा अन्य सूक्ष्मजीव अधिक सक्रिय नहीं होते। इसके कारण खाद्यान्नों को शीत भंडारों (कोल्ड स्टोरेज) में रखते हैं।

आशाा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।

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