भंडार गृहों (गोदामों) में अनाज की हानि कैसे होती है?
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उत्तर:
भंडार गृहों (गोदामों) में अनाज की हानि दो प्रकार से होती है :
जैविकीय कारक (biotic factors) और अजैविकीय कारक (abiotic factors) ।
जैविकीय कारक (biotic factors) :
- कृंतक (गिलहरी, चूहा आदि) , पक्षी (तोता, बुलबुल ,कबूतर ,कौआ इत्यादि), कुटकी (mites) घरों तथा गोदामों में रखे खाद्यान्नों को हानि पहुंचाते हैं । इनके बालों, पंखों तथा मल मूत्र से खाद्यान्नों का संक्रमण होता है।
- सूक्ष्मजीव : विभिन्न जीवाणु तथा फफूंदी खाद्यान्नों में रासायनिक परिवर्तन के फल स्वरुप इन की संरचना में परिवर्तन कर देते हैं और इस प्रकार अनाज को हानि पहुंचती है।
- कीट (घुन, दाल भृंग, आटा भृंग,आदि ) : ये कीट कच्चे खाद्यान्न जैसे अनाज ,दालें आदि को हानि पहुंचाती हैं। वे इन्हें अपने मल मूत्र से दूषित कर देती है।
- एंजाइम : यह जीव उत्प्रेरक है जो जीवित कोशिका में पाए जाते हैं। ये अधिक समय तक भंडारित किए गए फल, सब्जियों आदि को खराब कर देते हैं।
अजैविकीय कारक (abiotic factors) :
- नमी की मात्रा : भंडारित करते समय खाद्य पदार्थ में अधिक नमी नहीं होनी चाहिए। खाद्य पदार्थ में नमी की मात्रा इसके भार की 14% से अधिक नहीं होनी चाहिए। खदानों में अधिक नमी होने पर -
- इसके दानों का आकार बढ़ जाता है।
- सूक्ष्मजीव अधिक सक्रिय हो जाते हैं।
- कीट द्वारा संक्रमण की संभावना अधिक हो जाती है।
- आर्द वायु में फफूंदी आदि के उगने की संभावना अधिक होती है।
- तापमान: कम ताप पर एंजाइम, कीट तथा अन्य सूक्ष्मजीव अधिक सक्रिय नहीं होते। इसके कारण खाद्यान्नों को शीत भंडारों (कोल्ड स्टोरेज) में रखते हैं।
आशाा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
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