भृगु कुल केतु में कौन सा अलंकार है
उपमा अलंकार
अनुप्रास अलंकार
रूपक अलंकार
कोई नहीं
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सही विकल्प होगा...
✔ रूपक अलंकार
स्पष्टीकरण ⦂.
भृगुकुलकेतु में ‘रूपक’ अलंकार है।
भृगुकुलकेतु : रूपक अलंकार
रूपक अलंकार’ की परिभाषा के अनुसार जब गुणों की समानता के कारम ‘उपमेय’ को ही ’उपमान’ बना दिया अर्थात उनमें भिन्नता न हो तो वहाँ पर ‘रूपक अलंकार’ होगा। यहाँ पर ‘भृगुकुल‘ उपमेय को ‘केतु’ का उपमान बना दिया गया है। ‘भृगुकुल’ का ‘केतु’ पर आरोपण है,अतः यहा ‘रूपक’ अलंकार होगा।
अलंकार वे शब्द होते हैं जो किसी काव्य के सौंदर्य को बढ़ा देते हैं अर्थात अलंकृत कर देते हैं। इसके लिए उन्हें अलंकार कहा जाता है।
अलंकार के अनेक भेद-उपभेद होते हैं जिनमें अनुप्रास, यमक, श्लेष, उपमा, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति, रूपक आदि अलंकार प्रमुख हैं।
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