भाग्य और कर्म एक दूसरे के पूरक है जिसकी से वाक्य के प्रकार बताइए
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अवधराम ने कहा कि मनुष्य को अपने पौरुष पर विश्वास कर कर्म करते हुए जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सचेष्ट रहना चाहिए। ... रही बात फल की तो जितना भाग्य में है, वह मिलेगा। इस प्रकार से भाग्य व कर्म एक दूसरे के पूरक है। hope it's helpful for you and everyone ♥️♥️♥️♥️♥️
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