भुका सियार और कौवे की कहानी
Answers
Answer:
The story is given below
Explanation:
राम्पुर नाम का एक गाव था, उसि गाव मे दिव्येश नाम का लड़का था. एक दिन वो अपने माता पिता के साथ पदोस के गाव मे सादि मे गया था. दिव्येश बच्पन से बहूत सरारति ओर प्राणी प्रेमि भि था. रोज कुछ-न-कुछ पंथीयो को खाना देता था.
उस्कि यहि आदत से वह उस दिन भि सादि मे दिया हुआ खाना वह बहार लेके गया .ओर उस्कि नज़र एक कौवे पर पदि. तो दिव्येश ने वो थालि कौवे के कुच दुरि पर रखि ओर थोदि दूर चला गया. थोदि देर बाद वह कव्वा वह खान खाने के लिए निचे आय. ओर एक पूरि मुह मे उथाकर उद गया. ओर दूर जाकर एक पेड कि दालि पर बेथ गया. निचे से एक सियार पसार हो रहा था. ओर वह बोहूत भूखा था. उसने कौवे को देखा ओर कव्वे के मूह मे पूरि भि देखि.
तो सियार को उस पूरि खाने कि ललच आइ. तो सियार ने एक युक्ति सुजि कि '' मे कव्वे को लल्चाउग तो मुझे पूरि मिल्जायेगि.'' तो सियार ने कौवे को खहा कि '' कौवे ओ कौवे तुम्हारि आवज कित्नि मिथि है. तुम बोहूत अचा गाना गाते हो. मेरे लिये भि कुछ अच्छा गाके सुनाओ ना.'' कौवे ने यह सुन्कर अप्नि खूसि रोक नहि सका ओर वो गाने लगा. जैसे हि उस्ने अपना मूह खोला पूरि निचे गिर गइ. पूरि निचे गिरते हि सियार ने पूरि को जल्दि से मूह मे ज़पेत लि ओर खा लि. ओर कौवे पर बहूत हस्ने लगा. कव्वा देख्ते हि रेह गया. ओर सियार वह से चला गया.
सिख : किस पर भी जल्दि से विस्वास मत करो.