भिक्षुक कविता के केन्द्र भाव
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bhikari khush rahta hai hamesha kam chiz hone ke bawzud
भिक्षुक कविता में कवि ने एक भिक्षुक के अत्यंत मार्मिक स्थिति का चित्रण किया है। वे एक भिक्षुक की दीन - दशा को देखकर अत्यंत दुखी हैं एवं क्रोधित भी हैं कि एक भिक्षुक को भुखमरी के कारण दूसरों से अपमान, दुख एवं उपेक्षा सहन करनी पड़ती है। भिक्षुक की दीनता को देखकर कवी उनके प्रति सहानुभूति प्रकट करते हैं। कवि चाहते हैं कि लोगों के मन में दयनीय एवं भुखमरी भिक्षुक के प्रति करुणा का भाव जगे ताकि वे उन कमजोर भिक्षुको की मदद कर सके।
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