'भूमि का संरक्षण क्यों जरुरी है
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-संरक्षण का अर्थ है उन सभी उपायों को अपनाना तथा कार्यान्वित करना जो भूमि की उत्पादकता को बढ़ा दे तथा बनाए रखे, मृदा को अधोगति या अपरदन ह्रास से सुरक्षित रखे, अपरदित मृदा को पुनर्निर्मित और पुनरुद्धार कर दे, फसलों के उपयोग के लिए मृदा नमी को सुरक्षित कर दे तथा जमीन की आय को बढ़ा दें। इस प्रकार मुनाफा युक्त जमीन-प्रबंध कार्यक्रम को भू-संरक्षण कह सकते हैं।
भारतवर्ष में भू-संरक्षण के बिना योग्य मृदा आवरण का वृहत ह्रास हो जाता है। इसका कारण यह है कि इस देश के भूमि साधन एवं भूसंपत्ति का अज्ञान तथा गरीबी के साथ ही बिना उचित व्यवहार या प्रबंध के कारण नाश होता रहा है। दिन प्रतिदिन खाद्य, ईंधन तथा इमारती लकड़ी की बढ़ती मांग की पूर्ति हेतु गहन खेती तथा वनों की विस्तृत कटाई के कारण भूमि का अधिकतम शोषण ने अपरदन को हमारी कृषि के लिए एक बड़ा संकट बना दिया है।
कृषि हमारी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है अतः वे सभी उपाय जो मृदा की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए किए जाएं, हमारी समृद्धि का आधार बनते हैं। कृषि-भूमि की सुरक्षा तथा उसकी उच्च उत्पादन क्षमता को बनाए रखना न सिर्फ हमारा कर्तव्य है अपितु एक अहम जरूरत बन गया है। भू-संरक्षण के उपायों पर पंचवर्षीय योजनाओं के अंतर्गत करोड़ों रुपए खर्च हुए हैं और हो रहे हैं। सभी उपाय जो कृषि भूमि की सुरक्षा तथा मृदा की उत्पादन क्षमता की वृद्धि के लिए किए जाते हैं वे भू-संरक्षण प्रोग्राम की संरचना करते हैं। इन प्रोग्राम के अंतर्गत अग्रलिखित उपाय मुख्य रूप से सम्मिलित किए जाते हैं-