बहुमूल्य समर पर अनुच्छेद लेखन
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बस छूट जाए तो कहते हैं, बस एक क्षण की देरी हो गयी। क्या वह एक क्षण कभी लौट कर आ सकता है, कभी नहीं। उस बीते क्षण की वजह से सबकुछ गड़बड़ा जाता है। अब शायद घंटों दूसरी बस का इंतज़ार करना होगा। तभी कहते हैं कि समय का सदुपयोग करना सीखो। पढ़ने के समय अगर खेलोगे तो पास नहीं होंगे। कर्मचारी समय पर दफ्तर नहीं आएंगे तो काम ख़तम नहीं होगा और शाम को समय पर घर नहीं पहुंचेगे। समय पर दफ्तरों में काम, कारखानों में समय पर उत्पात इत्यादि सब देश की तरक्की के भागीदार बन सकते हैं। समय की अवहेलना करना तो विनाश को न्योता देने जैसा है। कहीं भी समय व्यर्थ में नष्ट करोगे तो परिणाम भी भुगतना पड़ेगा। यह बात हमेशा ध्यान में रहे कि यह काल-चक्र कभी किसी के लिए रुकता नहीं। समय पर पढ़ना, उठना, कार्यालय पहुंचना और खाना-पीना सब समय के अनुसार हो तो जीवन में सुख सुविधा निश्चित है।