बहुराष्ट्रीय कंपनी ने जलमूल्य कितना बढ़ा दिया?
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Explanation:
बहुराष्ट्रिय कंपनियाँ/निगम वह संगठन होते हैं जो अपने देश की तुलना मे एक या एक से अधिक देशों में वस्तुओं या सेवाओं के उत्पादन को नियंत्रित करते हैं। इसे अंतर्राष्ट्रीय निगम या एक राज्यविहीन कम्पनी भी कहा जाता है हैं। बहुराष्ट्रिय कंपनियों की अपने देश के अलावा कम से कम एक अन्य देश में सेवाएं और अन्य संपत्ति होती हैं। ऐसी कंपनियों के विभिन्न देशों में कार्यालय और कारखानें होते हैं और आमतौर पर एक केंद्रीकृत प्रधान कार्यालय होता हैं जहाँ पर वे वैश्विक प्रबंधन की वयवस्था करते हैं।
भारत में पहले पानी की कोई कमी नहीं थी। यहां के लोगों को पीने तथा अन्य जरूरतों के लिए पर्याप्त पानी था।
जैसे जैसे आबादी बढ़ी, पानी की जरूरतें बढ़ने लगी। जरूरत ज्यादा थी और पानी समय के साथ घटने लगा। इसी वक्त बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने यहां पानी का व्यवसायीकरण किया।
जिस पानी की कीमत पहले कुछ भी नहीं थी उस इन कंपनियों द्वारा साफ कर के सील बंद बोतलों में बेचा जाना लगा और उसकी कीमत पंद्रह से बीस रुपए कर दिए गए।
इस कारण से पानी की कीमत भी निर्धारित हो गई। एक लीटर पानी की कीमत आज बीस रुपए हो गई है। यह बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा ही किया गया है।