Science, asked by ramsan4396, 11 months ago

बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने उत्पाद की उत्पादन लागत कम बनाए रखने में किस प्रकार प्रबंधन करती हैं? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।

Answers

Answered by ravneet4924
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Explanation:

बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियां येन-केन प्रकरेण अपने उत्पादों को पूरे विश्व पर थोपना चाहती हैं । भारत जैसे देशों में वैधानिक तरीक से बन रही जेनेटिक दवाईयों के निर्यात को बलपूर्वक रोकने के लिए सभी विकसित औद्योगिक देश एकजुट हो गए हैं। इस षडयंत्र के फलस्वरूप जहां भारतीय दवाई कंपनियों को आर्थिक हानि उठानी पड़ेगी वहीं इसके परिणामस्वरूप तीसरी दुनिया के करोड़ों लोग सस्ती दवाईयों से दूर हो जाएगें । इसका सीधा असर इन सबके स्वाथ्य के साथ ही साथ इन देशों की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा ।

कई औद्योगिक देश एसी आपसी प्रयत्नशील हैं, जो कि विकासशील देशों को कम मूल्य की दवाइयों की उपलब्धता को बाधित करेगी, जिसके परिणामस्वरूप वे पेटेंट वाली महंगी दवाइयों पर निर्भर हो जाएगें । इससे विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के ट्रेडमार्क संबंधी दिशानिर्देशों के मद्देनजर किसी ऐसी वस्तु को नकली जाली घोषित किया जा सकता है, जिससे कि पेटेंट का उल्लंघन होता प्रतीत हो रहा हों ।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) एवं डब्ल्यूटीओ की नकली को लेकर अपनी-अपनी परिभाषाएं हैं । डब्ल्यूएचओ उन सभी दवाईयों को नकली मानता है, जिनके अवयव या संघटक नकली हो, इनकी मात्रा गलत हो या नकली पैकिंगकी गई हो । डब्ल्यूएचओ को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि इस तरह की दवाई जेनेरिक है या पेटेंट ।

इसके ठीक विपरित डब्ल्यूटीओ को मात्र ट्रेड मार्क उल्लंघन से मतलब है । उसे व्यापार संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकार (ट्रीप) को लेकर भी अनेक आपत्तियां है । जिसमें एक यह भी है कि ये ट्रेडमार्क भले ही एक से ना हों मगर इनमें समानता भी दिखती हों तो उसे नकली करार दिया जा सकता है । जेनेरिक दवाईयों को लेकर ट्रिप का रवैया हमेंशा सख्त रहा है क्योंकि वे कहीं न कहीं पेटेंट की गई मूल औषधि से मिलती-जुलती दिखती हैं। परन्तु ट्रिप भी जेनेरिक औषधियों को नकली नहीं मानता है ।

अमेरिका, यूरोपिय यूनियन, जापान, न्यूजीलैंड एवं आस्ट्रेलिया इस परिभाषा में विस्तार कर बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) में हुए किसी भी उल्लंघन को नकली करार देना चाहते हैं । केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में आईपीआर विभाग के निदेशक टी.सी.जेम्स का कहना है कि एंटी काउंटरफीटिंग ट्रीटी (नकल के विरूद्ध संधि) (ए.सी.टी.ए.) के अन्तर्गत ऐसा कोई भी उत्पाद नकली घोषित किया जा सकता है, जिसका पेटेंट केवल एक ही देश में हो । इसके बाद इस बात का कोई अर्थ नहींरह जाता कि उस देश में जेनेरिक दवाईयों का निर्माण एवं आयात वैध हो । जेम्स का कहना है कि औद्योगिक देशों ने केन्या को इस बात के लिए राजी कर लिया है कि ऐसी जालसाजी के खिलाफ कानून पारित कर दें। मोरक्को, मेक्सिको एवं सिंगापुर में भी ऐसे ही कानून बने हुए हैं । अपनी बात को समझाते हुए जेम्स कहते हैं अगर कोई वस्तु पेटेंट वेटिकन में हुआ है तो वह वस्तु केन्या में नकली मान ली

जाएगी ।

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