बहिर विवाह किसे कहते हैं उत्तर
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बहिर्विवाह का तात्पर्य किसी जाति के एक छोटे समूह से तथा निकट संबंधियों के वर्ग से बाहर विवाह का नियम है। समाज में अंतर्विवाह को असगोत्रता का तथा बहिर्विवाह को असपिंडता का नियम कहते हैं। असगोत्रता का अर्थ है कि वधू वर के गोत्र से भिन्न गोत्र की होनी चाहिए।
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जिस विवाह में युवक या लड़की को बिना बताए उनका विवाह कर देते हैं तो उसे वही विवाह का जाता है और लोगों को या गांव वालों को पता ना चले उसे पहिर विवाह कहते हैं
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