Biology, asked by rt069912, 8 months ago

भारभारत वंदना कविता में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का का कथन है उक्त कथन का उल्लेख कीजिए ​

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सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की रचनाएँ

मार दी तुझे पिचकारी -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

शरण में जन, जननि -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

टूटें सकल बन्ध -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

ध्वनि -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

अट नहीं रही है -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

गीत गाने दो मुझे -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

प्रियतम -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

कुत्ता भौंकने लगा -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

गर्म पकौड़ी -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

दीन -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

तुम और मैं -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

पथ आंगन पर रखकर आई -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

खेलूँगी कभी न होली -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

मातृ वंदना -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

आज प्रथम गाई पिक पंचम -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

उत्साह -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

चुम्बन -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

मौन -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

प्रपात के प्रति -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

प्रिय यामिनी जागी -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

वन बेला -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

भिक्षुक -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

तोड़ती पत्थर -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

प्राप्ति -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

मुक्ति -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

वे किसान की नयी बहू की आँखें -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

वर दे वीणावादिनी वर दे ! -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

मरा हूँ हज़ार मरण -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

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