भ्रमरगीत का सर आज बताते हुए उसकी काव्यगत विशेषताओं
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भ्रमरगीत एक भाव प्रधान काव्य है। रस की बात की जाय तो वियोग श्रृंगार का मार्मिक चित्रण किया गया है। गोपियों की स्पष्टता, वाक्पटुता, सहृदयता, व्यंग्यात्मकता सर्वथा सराहनीय है।
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