Hindi, asked by jairambunkarjb, 1 month ago

'भ्रमरगीत' संवाद किस काव्यधारा से सम्बंधित है?​

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Answered by lovelygirl46418
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Answer:

हिंदी काव्य में भ्रमरगीत का मूलस्रोत, श्री भागवत पुराण है जिसके दशम स्कंध के 45में एवं 46 वें अध्याय में भ्रमरगीत प्रसंग हैl श्री कृष्ण गोपियों को छोड़कर मथुरा चले गए और वह पिया वीरा विकल हो गईl

Answered by shilpa85475
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  • भ्रमरगीत भारतीय कविता की एक अनूठी परंपरा है।
  • हिन्दी में सूरदास, नंददास, परमानंद, मैथिलीशरण गुप्त (द्वापर) और जगन्नाथदास रत्नाकर ने भ्रमरगीत का निर्माण किया।
  • भारतीय साहित्य में भ्रामर (मधुमक्खी) को रसलोलुप नायक का प्रतीक माना गया है।
  • व्यभिचारी जो एक फूल के रस पर नहीं रुकता, बल्कि दूसरे की कोशिश करता है।
  • हिंदी कविता में भ्रमरगीत का मूल स्रोत 10वें स्कंध के अध्याय 46 और 47 भ्रमरगीत में के संदर्भ में श्रीमद्भागवत पुराण है।
  • श्रीकृष्ण ने गोपियों को मथुरा में छोड़ दिया और गोपियां अलग हो गईं।
  • कृष्ण मथुरा में सामाजिक कार्यों में लगे हुए हैं, लेकिन व्रज की गोपियों की स्मृति से ग्रस्त हैं।
  • उन्होंने अपने अविभाज्य मित्र उद्धव को दूत के रूप में गोकुल भेजा।
  • वहाँ, जब वह गोपियों से बात कर रहा था, वहाँ एक भ्रम फैलाने वाला उड़ गया। एक गोपी जिसने प्रतीक का भ्रम पैदा करके उद्धव और कृष्ण का उपहास किया और उद्धव और कृष्ण को उपलंभी देकर "भ्रमरगीत" के रूप में जाना जाता है।

#SPJ3

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