Hindi, asked by hjjjkook9089, 10 months ago

भ्रष्टाचार के कारण देश के नुकसान

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Answered by sakshinishad10
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आज देश के सामने कई प्रकार की समस्यायें हैं जिनके साथ हम रोजाना जूझ भी रहे हैं व उनके साथ जी भी रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ी समस्या कौन सी है इसको लेकर समाज में अलग-अलग प्रकार के लोगों के अलग-अलग मत हो सकते हैं। अनुभव ऐसा है कि जो जिस समय जिस समस्या से प्रभावित होता है उसके लिए वह उतनी ही बड़ी समस्या बन जाती हैं।

एक आम आदमी के लिए दो समय का खाना जुटा पाना कठिन है तो उसके लिए मंहगाई समस्या है। बिहार असम और पूर्वोत्तर के प्रान्तों में बढ़ रही बांगलादेशी घुसपैठ उनके लिए बड़ी समस्या है I बेरोजगार युवकों के लिए रोजगार न मिलना समस्या हैI अभिभावकों के लिए शिक्षा का व्यापारीकरण समस्या हैIजिन परिवारों के लोग आतंकवाद के कारण से मारे गये उनके लिए आंतकवाद बड़ी समस्या है।

पर मेरे विचार से सबसे बड़ी समस्या वह हैI जिसे लोग समस्या मानना बन्द कर दें और उसे अपने जीवन का एक हिस्सा मान कर जीनें लगें। इस प्रकार देखा जाय तो भ्रष्टाचार आज देश की सबसे बड़ी समस्या बन गई है जिसे आज आम आदमी एक शिष्टाचार के रूप मे मानता है। आज काम के बदले रिश्वत लेना व देना एक नियम सा बन गया। अब समाज में इसे गलत नहीं समझा जाता बल्कि जो विरोध करता है उसे बेवकूफ या आदर्शवादी कह कर उसका मजाक बनाया जाता है। पहले समाज मे रिश्वत लेने वाले को अच्छी नजर से नहीं देखा जाता था- लोगों के मन में समाज निन्दा कर डर रहता था। रिश्वत लेता था तो भी घर पर लेकर नहीं आता था, परिवार से छुपा कर उसका उपयोग करता था क्योंकि परिवार में गलत संस्कार पड़ेगा। अब तो वही व्यक्ति रिश्वत यह कहकर मांगने लगा है कि मेरे भी तो बच्चे हैं, परिवार हैIउसके लिए भी कुछ चाहिये।

कुछ माह पूर्व तक समाज में सभी स्तरों पर व्याप्त भ्रष्टाचार आम चर्चा का विषय भी नहीं था। लोगों ने इसे अपनी नियति मानकर स्वीकार कर लिया था- कि यह तो होगा ही या ये सब तो आवश्यक है।

भ्रष्टाचार का यह महारोग अभी पनपा है ऐसा नहीं है, मुगलो के समय में भी भ्रष्टाचार था पर वह आटे में नमक की तरह था। अंग्रेज तो भारत को लूटने ही आये थे इसलिये येन-केन-प्रकारेण अंग्रेजों ने तो हमें लूटा हीं। पर आजादी के बाद आये प्रजातन्त्र मे यह रूकना चाहिये था पर हुआ उल्टा देश मे पैदा हुये काले अंग्रेजों ने ही हमें लूटना शुरू कर दिया। भ्रष्टाचार की नाली दिन ब दिन चौड़ी होती गई और अब इसने महासागर का रूप ले लिया। कारण देश में प्रजातन्त्र तो आया पर प्रजा की सुनने वाला कोई तन्त्र नहीं बना। अगर देश का राजनैतिक नेतृत्व भ्रष्ट नहीं होता तो प्रजा भी ईमानदार बनी रहती इन्हीं राजनेताओं ने अपने स्वार्थ के कारण पारदर्शी तन्त्र को बनने नहीं दिया उल्टे जनता को भी ईमानदार नहीं रहने दिया।

सन् 1949 में जीप घोटाले और 1958 मे प्रताप सिंह केरो से जुडे घोटालों के आरोपित लोगों को राजनैतिक शह मिलना, 1971 में लगे आरोपों के जबाब में इन्दिरा गांधी द्वारा करप्शन इज ग्लोबल फैनोमिना कहना या राजीव गांधी द्वारा यह मानना कि केन्द्र सरकार से भेजे जाने वाले 100 पैसे में से 15 पैसे आम आदमी के पास पहुंचते हैंI 85 पैसे भ्रष्ट बिचौलिआ व नेता खा जाते हैं पर उनके द्वारा व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं करना जैसे मुद्दों ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा ही दिया। स्वाधीनता के बाद जीप घोटाले को घोटालो का बीज कहा जा सकता है।

आजादी के बाद से लेकर अब तक प्रमुख घोटोले- जिनमें से अधिकांश को हम भूल चुके हैं।

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