भारत जैसे देशों के लिए सोवियत संघ के विघटन के क्या परिणाम हुए ?
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"भारत और सोवियत संघ हमेशा मित्र देश रहे हैं । भले ही भारत सोवियत संघ के गुट में शामिल नहीं था, फिर भी सोवियत संघ ने हमेशा हर मुद्दे पर भारत का समर्थन किया था । सोवियत संघ के विघटन के बाद सोवियत संघ टूट गया और जाहिर है इसका प्रभाव भारत पर पड़ना ही था ।
सोवियत संघ के विघटन से विश्व राजनीति में बहुत बदलाव आ गया । सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका इकलौती महाशक्ति बचा था, तो उसने विश्व पर अपना प्रभाव बढ़ाना आरंभ कर दिया । अफगानिस्तान, इराक व ईरान जैसे विकासशील देशों में अमेरिका का अनावश्यक हस्तक्षेप बढ़ गया ।
भारत जैसे विकासशील देशों को अमेरिका ने अपने प्रभाव में लेना शुरु कर दिया । भारत जैसे अन्य विकासशील देशों की भी यह मजबूरी थी कि वे अपने विकास के लिए अमेरिका के साथ चले और परोक्ष रूप से अमेरिकन नीतियों का समर्थन करें ।
विश्व के महत्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों पर भी अमेरिका ने अपना प्रभुत्व कायम कर लिया ।
पूर्व के सोवियत संघ का सबसे बड़ा देश रूस (रशिया) आज उतना ताकतवर नहीं है जितना शीतयुद्ध के समय था, फिर भी भारत के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि पहले था और आज भी भारत के रूस (रशिया) के साथ दोस्ताना संबंध कायम हैं ।
इसलिये कहा जा सकता है कि सोवियत संघ के विघटन के बाद भारत पर प्रभाव तो पड़ा है पर वो न तो वो अमेरिका की तरफ पूरी तरह झुका है और न ही उसके सोवियत संघ (आज के रूस) से संबंध बिगड़े हैं ।
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