भारत की आजादी में राष्ट्र की भौगोलिक एवं बनावट की भूमिका का विवरण (60-80 शब्दं में)I
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भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान हुए संघर्ष और चुनौतियों में कई गुमनाम वैज्ञानिक तथा विज्ञान संचारक भी शामिल थे। उन्हें ब्रिटिश सत्ता द्वारा भेदभाव और उपेक्षा का सामना करना पड़ा। उन तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद, हमारे वैज्ञानिक तथा विज्ञान संचारक राष्ट्र और समाज के विकास के लिए विज्ञान के उपयोग के साथ-साथ विज्ञान का संचार भी करते रहे। "भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और विज्ञान विषय पर विज्ञान संचारकों का यह विशाल सम्मेलन" 20-21 अक्टूबर 2021 को आयोजित किया जाएगा। यह सम्मेलन विज्ञान प्रसार (भारत सरकार के एक स्वायत्त संस्थान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग), सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान तथा विज्ञान भारती (विभा) का एक संयुक्त प्रयास है। आजादी का अमृत महोत्सव (भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का उत्सव) इस सम्मेलन के आयोजन की मुख्य प्रेरणा है। वर्ष भर चलने वाले विज्ञान समारोह में विभिन्न स्तरों पर प्रदर्शनियों, सम्मेलनों, प्रतियोगिताओं, विज्ञान फिल्मों, पोस्टरों, विज्ञान यात्राओं का आयोजन तथा प्रस्तुतियों के माध्यम से चर्चाएं होंगी। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित विशाल सम्मेलन में 4000 से अधिक विज्ञान संचारक शामिल होंगे, जो मुख्य संदेश को समाज के जमीनी स्तर तक पहुंचाएंगे। इसका प्रमुख उद्देश्य स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वैज्ञानिकों के योगदान, उनके संघर्षों और उपलब्धियों के बारे में समाज को जानकारी देना है।