भारत की ऐतिहासिक धरोहर के प्रति गौरव की भावना को बढ़ाना है तो आप क्या कर सकते हैं निबंध
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जयपुर। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा है कि राजस्थान की ऐतिहासिक धरोहर और विरासत हमारी आन-बान और शान की प्रतीक है। किले, स्मारक, महल एवं संग्रहालयों के प्रति लोगों में स्वाभिमान और गर्व का एहसास पैदा किया जाये ताकि वे इन्हें अपना समझें।
उन्होंने कहा कि युवाओं एवं स्कूली बच्चों में ऐतिहासिक धरोहर एवं विरासत के प्रति जागरूकता पैदा की जाये। राजे सोमवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एडमा) की गवर्निंग काउन्सिल की बैठक को संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों को इन स्मारकों के ऐतिहासिक महत्व से रूबरू कराने के लिए विशेष बुकलेट्स एवं अन्य सामग्री वितरित की जाये ताकि नई पीढ़ी में उनके प्रति लगाव पैदा हो।
उन्होंने कहा कि लोगों को शिक्षित एवं जागरूक किया जाये ताकि वे इन स्थलों पर आकर इन्हें किसी भी प्रकार से नुकसान नहीं पहुंचाएं और इनके ऐतिहासिक स्वरूप के साथ छेड़छाड़ नहीं करें।
सभी लोगों में यह भावना हो कि ये हम सबकी धरोहर है और हमें इन्हें सार-संभाल कर अगली पीढ़ी को सौंपना है। राजे ने कहा कि प्रदेश के आर्थिक विकास में पर्यटन की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रदेश के पर्यटन स्थलों पर आने वाले पर्यटकों को ऐसी सुविधायें उपलब्ध कराई जाएं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इनके प्रति आकर्षित हों और उनके माध्यम से देश और विदेश में हमारी समृद्ध विरासत का संदेश पहुंचे।
उन्होंने कहा कि इन धरोहरों के संरक्षण एवं रख-रखाव कार्य में हमें लोगों को साथ लेकर चलना होगा। इनकी ऐतिहासिकता के बारे में अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के हर जिले में ऐतिहासिक स्मारक किले एवं हवेलियां हैं जिनकी उचित देखभाल और संरक्षण कर हम पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि किसी एक स्मारक को आदर्श तरीके से संरक्षित करें और उसके अनुरूप दूसरे स्मारकों के संरक्षण एवं पुनरूद्धार का कार्य किया जाए। राजे ने निर्देश दिए कि आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण के तहत आने वाले सभी स्मारकों, संग्रहालयों एवं आर्ट गैलेरीज के संरक्षण एवं पुनरूद्धार के कार्यों में एडमा के सदस्यों एवं विशेषज्ञों की राय के अनुरूप समयबद्ध रूप से कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि संरक्षण के बाद इन स्मारकों की देखभाल का जिम्मा भी प्रशिक्षित लोगों को सौंपा जाए।
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Explanation:
किसी व्यक्ति का अपनी धरोहर से संबंध उसी प्रकार का है, जैसे एक बच्चे का अपनी माँ से संबंध होता है। हमारी धरोहर हमारा गौरव हैं और ये हमारे इतिहास-बोध को मज़बूत करते हैं। हमारी कला और संस्कृति की आधार शिला भी हमारे विरासत स्थल ही हैं।
इतना ही नहीं हमारी विरासतें हमें विज्ञान और तकनीक से भी रूबरू कराती हैं, ये मनुष्यों तथा प्रकृति के मध्य जटिल सबंधों को दर्शाती हैं और मानव सभ्यता की विकास गाथा की कहानी भी बयां करती हैं।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51ए (एफ) में स्पष्ट कहा गया है कि अपनी समग्र संस्कृति की समृद्ध धरोहर का सम्मान करना और इसे संरक्षित रखना प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है।
यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि हम अब तक अपने विरासत स्थलों के सामाजिक और सांस्कृतिक महत्त्व पर ही बात करते आए हैं , जबकि आर्थिक विकास में इनकी भूमिका अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण है। यह एक ऐसा पक्ष है जिसे हम नज़रंदाज़ करते आए हैं।
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