Economy, asked by tameemtaj2055, 11 months ago

भारत के भुगतान सन्तुलन के असन्तुलन को दूर करने के उपायों की चर्चा कीजिए।

Answers

Answered by maralsarthak1834
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Answer:

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सामान्यत: सभी देश एक दूसरे के साथ माल का आयात निर्यात करते हैं, सेवाओं का आदान प्रदान करते हैं और राशि का लेन देन भी करते हैं। इस प्रकार एक निश्चित अवधि के पश्चात् इन सभी मदों पर लेन देन का यदि हिसाब निकाला जाय तो किसी एक देश को दूसरे से भुगतान लेना शेष होता है और दूसरे देश को किसी किसी तीसरे देश का भुगतान चुकाना शेष रहता है। विभिन्न देशों के बीच इस प्रकार के परस्परिक लेन देन के शेष को भुगतान शेष (Balance of payments) कहते हैं। यों कहना चाहिए कि किसी निश्चित तिथि को एक देश द्वारा अन्य देशों को चुकाई जानेवाली सकल राशि तथा अन्य देशों से उसे प्राप्त होनेवाली सकल राशि के अंतर को उस देश का 'भुगतान शेष' कहते हैं।

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