भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बायोगैस उत्पन्न करने के महत्व के किन्हीं पाँच बिंदुओं को स्पष्ट कीजिए।
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हम औसत का प्रयोग आय की तुलना करने के लिए करते हैं।
आय की तुलना दो व्यक्तियों के बीच दो राज्यों के बीच या फिर दो देशों के बीच हो सकती है। एक देश के लोग दूसरे देश के लोगों से कितने बेहतर है? इसके लिए हम औसत आय की तुलना करते हैं जो कि देश की कुल आय को कुल जनसंख्या से भाग देखा निकाली जाती है।
उदाहरण के लिए अर्थशास्त्री आर्थिक विकास की दृष्टि से प्रति व्यक्ति आय या औसत आय को एक माप मानते हैं, लेकिन हो सकता है कि देश में औसत आय में वृद्धि हुई हो तथा धन और आय के वितरण से अधिक असमानताएं आई हो, अर्थात धनी व्यक्ति अधिक धनी हुए हैं ग़रीब व्यक्ति और ग़रीब । इस प्रकार औसत आय धनी और निर्धन के बीच अंतर नहीं बताती है। इसे विकास का अच्छा माप नहीं माना जा सकता है।
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भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बायोगैस उत्पन्न करना निम्नलिखित करणों से महत्वपूर्ण है:
ग्रामीण क्षेत्रों में एक बड़ा तबका ऐसा है जो रसोई में ईंधन के रूप में लकड़ी का इस्तेमाल करता है। लकड़ी के इस्तेमाल से पेड़ों कि कटाई करनी होती है।
इसलिए बायोगैस ईंधन के रूप में बहुत ही बेहतर विकल्प है। यह वातावरण को भी दूषित नहीं करता था उपयोगी भी है।
बायोगैस बनाने में मुख्य तौर पर गोबर तथा अन्य सड़ने वाले तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है। बायोगैस के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली चीजें ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से उपलब्ध होती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बायोगैस प्लांट लगाने एक लिए भी पर्याप्त जगह की व्यवस्था होती है इसलिए वहां यह आसान है।