Hindi, asked by samreetheir0537, 2 months ago


भारत का किसान पर निबंध लिखें​

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Answered by confusedgenius1000
5

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कृषक (किसान) को अन्नदाता कहा जाता है। हमारे जीवन की मूलभूत आवश्यकता भोजन है। हम भोजन के बिना जीवित नही रह सकते हैं। इस भोजन को देने वाला किसान ही है।

किसान ही अपने खेतों में दिन रात मेहनत करता है। वह किसी पौधे के बीज से लेकर पूरे उस पौधे के बड़े होने तक का इंतजार करता है और उससे अन्न प्राप्त करके हमारी मूल आवश्यकता को पूर्ण करता है।

खेती भारत का मुख्य उद्योग है। यहाँ की 80 प्रतिशत जनता खेती करती है। यह किसानों का देश है। यहाँ सभी उद्योग खेती पर ही निर्भर हैं।

खेती और किसान की दशा ही भारत की दशा है। पर यह खेद की बात है कि भारत में किसान की जैसी शोचनीय दशा है वैसी किसी और की नहीं। अँग्रेजी राज्य में किसानों और खेती के बारे में कभी सोचा ही नहीं गया, सोचने की उन्हें आवश्यकता भी नहीं थी।

आजतक किसानों के लिए हुआ क्या? एक लम्बा समय बीत जाने पर आज भी किसान की दशा सन्तोषजनक नहीं है। उसे भर-पेट अन्न और शरीर ढाँपने को पर्याप्त वस्त्र भी नहीं मिलता है। यह तो नहीं कहा जा सकता कि उसकी दशा में कुछ अन्तर नहीं हुआ किन्तु सुधार जितना होना चाहिए था, हुआ नही। सबका अन्नदाता किसान आज भी अन्न को तरसता है।

वह किसान, जिसके लिए कवि ने कहा है-

“कठिन जेठ की दोपहरी में एकचित्त हो मग्न।

कृषक-तपस्वी तप करता है श्रम से स्वेदित तन ॥’

जब कोई अपने दुधमुँहै बच्चे को आधा पेट खिलाकर और अपनी नवोढा प्रियतमा को चिथड़ों में लिपटा देखकर भी साँस लेता रहे तो क्या यह जीवन है ? स्वतन्त्र भारत के अन्दाता की यह दशा देखकर भला किसका हृदय टूक-टूक न हो जायेगा ?

कृषक की कठिनाइयाँ

पर दोष किसका है-स्वयं किसान अपनी दरशा सुधारना नहीं चाहता, यह कहा नहीं जा सकता। अपनी उन्नति भला कौन न चाहेगा ?

सरकार लाखों रुपये प्रतिवर्ष खेती के विकास पर लगाती है। करोड़ों रुपये की योजनाएँ खेत और किसान के लिए चल रही हैं। फिर वही प्रश्न है कि दोषी कौन है? कौन-सी बाधा है जो किसान का रास्ता रोकती है और उसे तेजी से आगे नहीं बढ़ने देती ? यदि विचार कर देखें तो कठिनाइयाँ साफ दिखाई पड़ती हैं।

Answered by aamanchaudhary12
3

Answer:

smae to smae bro answer h ok

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