Social Sciences, asked by piyushudiya665, 6 months ago

भारत की प्रमुख पर्वत श्रंखला की सूची बनाएं तथा राज्यों के नाम लिखो​

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Answered by rajanibala69
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हसन जावेद खान

भारत में अनेक पर्वत श्रृंखलाएं हैं। पर्वत भौगोलिक विविधता के साथ-साथ अतुलनीय जैव विविधता के भी महत्वपूर्ण स्रोत हैं। भारत विश्व के 12 महा वंशाणु केन्द्र का हिस्सा तो है ही, इसके अलावा संसार के जैव विविधता के 25 महत्वपूर्ण स्थानों में से 2 अति महत्वपूर्ण स्थान भारत में ही हैं जैसे ‘पूर्वी हिमालय तथा पश्चिमी घाट’। भारत के पर्वत औषधीय पेड़-पौधों व खनिजों की असीमित मात्रा के भंडार हैं। इसके अतिरिक्त यह पर्वत देश की जलवायु को भी निर्धारित करते हैं।

भारत में उत्तरी सिरे पर दो पर्वत श्रृंखलाएं हैं, काराकोरम पर्वत श्रृंखलाएं और हिमालय। भारत के मध्य भाग में विध्यांचल की पहाडि़यां हैं जिन्होंने भारत को दो भागों में विभाजित किया है। भारत के दक्षिणी तट पर दो पर्वत श्रृंखलाएं है जिन्हें भारत के पूर्वी घाट व पश्चिमी घाट कहते हैं।

हिमालय

हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं की विशालता उसे एक तंत्रा के रूप पहचान देती है। यह संसार का विशाल तंत्रा है जो कि 160-320 किलोमीटर तक चैड़ा व 2,400 किलोमीटर लम्बाई में भारत की उत्तरी सीमा से पूर्वी सीमा तक फैला हुआ है। उत्तरी सीमा पर हिमालय बहुत विशाल क्षेत्र समेटे हुए है और उसके अंतर्गत पश्चिम से पूर्व की ओर 5 मुख्य प्रदेश आते हैं जैसे कि जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, सिक्किम व अरुणाचल प्रदेश।

हिमालय पर्वत भारत को एशिया के अधिकांश भाग व चीन से अलग करता है। यह मध्य एशिया से आती ठंडी हवाओं को रोकता है तथा भारत की जलवायु को प्रभावित करता है। यह पर्वत श्रृंखलाएं मानसूनी वर्षा को मुख्य रूप से प्रभावित करती हैं।

हिमालय के पर्वत संसार में सबसे ऊंचे पर्वत हैं। भारत में सबसे ऊंचा पर्वत शिखर कंचनजंघा (28,208 फीट) है। नंगा पर्वत (26,657 फीट), नन्दा देवी (25,646 फीट), राका पोशी (25,551 फीट) व कमित (25,446 फीट) कुछ प्रमुख पर्वत चोटियां हैं। हिमालय की 3 मुख्य समान्तर श्रृंखलाएं हैं :

1. विशाल हिमालय

2. मध्य हिमालय

3. अधोहिमालय प्रदेश

विशाल हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं की ऊंची चोटियां बर्फ से ढकी रहती हैं और उनकी औसत ऊंचाई 20,000 फीट (6,100 मी.) होती है। दक्षिण की ओर यह विशाल श्रृंखलाएं अनियमित रूप से विभाजित होकर मध्य हिमालय श्रृंखलाओं का निर्माण करती हैं। विशाल हिमालय की नेपाल तथा सिक्किम क्षेत्र में अनेक ऊंची चोटियां है। विशाल हिमालय के उत्तर में अनेक श्रृंखलाएं हैं जैसे जंस्कार, लद्दाख व कैलाश। विशाल हिमालय के तिब्बत की ओर काराकोरम श्रृंखलाएं अपना मस्तक ऊंचा किए खड़ी है।

विशाल हिमालय के दक्षिण में मध्य हिमालय है जिसकी कुछ महत्वपूर्ण श्रृंखलाएं नाग टिबा, धौलाधार और पीर पंजाल हैं। मध्य हिमालय श्रृंखलाओं की लगभग एक समान ऊंचाई है जो कि 6,000-10,000 फीट तक है।

अधो हिमालय में मुख्य रूप से शिवालिक पर्वत श्रृंखलाएं, तराई क्षेत्र व डुमार पीडमॉट (पर्वत के नीचे का समतल भूभाग) आते हैं। अधो हिमालय क्षेत्र की विशेषता यह है कि इसके अंतर्गत अनेक लम्बी व समतल घाटियां होती है जिनके तल पर रेतीली मिट्टी, कंकड़ व बजरी की भारी मात्रा मिलती है।

शिवालिक, विशाल हिमालय के दक्षिणी सिरे पर लेकिन समान्तर श्रृंखलाएं हैं जो भूगर्भ विज्ञान के अनुसार सबसे कम उम्र की है। इसकी ऊंचाई लगभग 5000-6500 फीट होती है और यह श्रृंखलाएं सिक्किम की तिस्टा नदी से नेपाल तक उत्तराखंड होती हुई जम्मू कशमीर तक फैली हुई है।

शिवालिक के उत्तर में ‘महाभारत लेख’ पर्वत श्रृंखलाएं है जिन्हें कि ‘लेसर हिमालय’ भी कहते हैं। कहीं-कहीं पर तो शिवालिक व महाभारत लेख को 10-20 किलोमीटर चैड़ी घाटियां एक दूसरे को अलग करती हैं। वन घाटियों को दून कहते हैं और सम्भवतः इसी कारण देहरादून शहर का नामकरण हुआ।

हिमालय की उत्पत्ति

हिमालय की संरचना लगभग 4.5 करोड़ वर्ष पहले हुई थी और निश्चय ही यह प्रकृति की एक अनूठी रचना है जिसके कारण मानव तथा असंख्य जीव-जन्तु तथा वनस्पतियों को जीवनयापन का अवसर मिला। भारत तथा यूरेशिया नामक दो विशाल भूभागों के टकराने से हिमालय का जन्म हुआ। इन दो विशाल भूभागों के टकराने के बाद यह भूभाग अनियंत्रित हो गए और वापस पुरानी तथा स्थिति में आना असंभव पाकर ऊपर को उठते चले गए और इस प्रक्रिया ने हिमालय को जन्म दिया।

लगभग 8 करोड़ वर्ष पहले भारत एशिया महाद्वीप से 6,400 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में स्थित था तथा धीरे-धीरे (100 वर्ष में 9 मीटर की दर से) उत्तर की ओर खिसक रहा था। जब भारत एशिया से टकराया तो उसका उत्तर की ओर खिसकना लगभग आधा रह गया और साथ ही विवर्तनिक प्लेटों की गति भी मंद हो गई। फलस्वरुप टकराव ने ऊंचाई प्राप्त कर ली जो हिमालय की ऊंची उठती पर्वत श्रृंखलाओं का कारण बना।

भूगर्भशास्त्र के अनुसार हिमालय का जन्म बहुत पुराना नहीं है। निश्चय ही यह बहुत तीव्रता से हुआ है। 5 करोड़ वर्षों में माउंट एवरेस्ट जैसी चोटियां 9 किलोमीटर से भी ज्यादा की ऊंचाई तक उठ र्गइं। श्रृंखलाएं ऊंची हैं क्योंकि अभी वे बहुत पुरानी नहीं हुई हैं। भूक्षरण/मृदा अपरदन अथवा भूस्खलन जैसी प्रक्रियाएं नहीं के बराबर हुईं जो पर्वतों की ऊंचाई को कम कर सकती थीं।

भारत निरंतर एशियन महाद्वीप पर दबाव डालता रहता है और परिणामस्वरुप हिमालय की ऊंचाई भी बढ़ती रहती है (1 वर्ष में 1 सेंटीमीटर की दर से) जो अनुमान के अनुसार 10 लाख वर्षों में 10 किलोमीटर हुई। यह निरन्तर दबाव की प्रक्रिया धरती के अन्दर भी उथल-पुथल करती रहती है जो भूकम्प के रूप में यदा-कदा उजागर हो जाती है। संसार के अनेक विनाशकारी भूकम्पों की उत्पत्ति भारत तथा यूरेशियन महाद्वीप के 5 करोड़ वर्ष पहले टकराव के कारण हुई समझी जाती है।

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