भारत की ऋतुओं के सौंदर्य तथा महत्त्व का वर्णन करते हुए एक प्रस्ताव लिखिए ।
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Explanation:
पृथ्वी का अपनी धूरी पर निरंतर घूमने के प्रक्रिया से दिन और रात की घटना घटित होती है। साथ ही पृथ्वी के सूर्य के परिक्रमा करने के फलस्वरूप ऋतुओं में परिवर्तन होता है। जिससे गर्मी, बरसात और ठंडी का अनुभव हम सभी को प्राप्त होता है।
सालों से होती आ रही ऋतु परिवर्तन के वजह से मनुष्य तथा जीव-जन्तुओं ने स्वयं को उसके अनुकूल ढाल लिया है। फिर भी प्राकृतिक शक्ति के रूप में ऋतु परिवर्तन हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है।
भारत में ऋतु परिवर्तन
मई-जून की धूप से तपती धरातल (धरती) व गर्म हवाएं (लू) से लोग व्याकुल हो जाते हैं। आसमान छूते तापमान के कारण पंक्षीयों के लिए पेड़ पर पानी रखा जाता है तथा जगह-जगह सड़क के किनारे पर मुसाफिरों के लिए भी पानी का प्रबंध किया जाता है।
बरसात का मौसम शुरू होते ही कई क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश होने के कारण नदियों का स्तर इस प्रकार बढ़ता है की गांव के गांव खाली करने पड़ जाते हैं और शहर भी उससे अछुते नहीं रह पातें। वहीं कई स्थान बारिश के बूंद के अभाव में सूखे ही रह जाते हैं। इससे मानव जीवन जीव-जन्तु सभी बहुत अधिक प्रभावित होते हैं।
ठंड के आगमन से शुरूआत की ठंड व्यक्ति को सुखद अनुभव कराती है पर समय बीतने के साथ शीत ऋतु की ठंड व्यक्ति के लिए बहुत अधिक कष्टदायक होती है। इसमें घर से निकल पाना ही बड़ी चुनौती सा प्रतीत होता है। सड़क के किनारे बैठे भिक्षुक तथा वे जानवर जिनका कोई नहीं होता उनके कष्ट का अनुमान लगा पाना बहुत मुश्किल है।
निष्कर्ष
पृथ्वी के अस्तित्व में आने के समय से ही पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन की घटना घटित होती आ रही है। यह मानव जाति के साथ-साथ जीव-जन्तु, वनस्पति इन सभी को प्रभावित करती है।
यह मौसम न तो ज्यादा गर्म होता है और न ज्यादा ठंडा। इस मौसम में शिशिर (शीत ऋतु) में पेड़ों से झड़ें पत्तों की टहनियों पर नये पत्ते पनपने लगते हैं। ऐसा कहा जाता है वसंत में पुष्प, पेड़, नदियों तथा तालाबों में सुगंध भर जाता है। पृथ्वी की परिक्रमा के फलस्वरूप ऋतुओं में परिवर्तन देखा जाता है।
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