भारत को स्वतंत्र कराने में महिला क्रांतिकारियों ने किस प्रकार योगदान दिया? किन्ही दो महिला क्रांतिकारियों के कार्यों का उल्लेख कीजिये।
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. कमला देवी चटोपाध्याय
कमलादेवी एक विचारक के तौर पर गाँधी या अंबेडकर से कम नहीं थी। इनकी रुचि जाति से लेकर थिएटर तक, हर विषय में थी पर इतिहास के पन्नों में इनका नाम कहीं खो गया है। वो कमलादेवी ही थी जिन्होंने महात्मा गाँधी से सत्याग्रह में औरतों को शामिल करने की माँग की थी। आज़ादी मिलने तक कमलादेवी कई बार जेल गयीं, कभी गाँधी के नाम का नारा लगाते हुए नमक बेचने के लिए तो कभी भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के लिए। 1928 में कमलादेवी ऑल इंडिया काँग्रेस कमिटी में एलेक्ट हुईं, 1936 में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की प्रेसिडेंट बनी और 1942 में अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की अध्यक्ष बनके महिलाओं को मैटरनिटी लीव देने व उनके अनपेड लेबर को नज़रंदाज़ न करने की बात रखी।
2. सरोजिनी नायडू
‘भारत कोकिला’ सरोजिनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष बनीं। इन्होेंने समाज की कुरीतियों के खिलाफ़ महिलाओं को जागरूक किया और लगातार आज़ादी के आंदोलनों में भाग लेती रहीं।ये भी काफी बड़ी भारतीय महिला स्वतंत्रता सेनानी थीं। राजनीति के अलावा सरोजिनी का लेखन में भी गहरा रुझान था। इन्होंने ‘द लेडी ऑफ़ लेक’ और ‘द बर्ड ऑफ़ टाइम जैसी कई पुस्तकें लिखी हैं।
इन्होंने जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में अपना ‘कैसर-ए-हिंद’ सम्मान लौटा दिया था। सरोजिनी उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल बनीं।
3. भीकाजी कामा
भारतीय महिला स्वतंत्रता सेनानी भीकाजी कामा ने भी आज़ादी के लिए काफी जोर लगाया। भीकाजी कामा विदेश में भारत का झण्डा फहराने वाली पहली महिला थी। उस समय भारत आज़ाद नहीं हुआ था और भारत के लिए ब्रिटेन का झण्डा इस्तेमाल किया जाता था। मैडम कामा को ये बात गवारा नहीं था इसलिए उन्होंने खुद भारत के लिए एक तिरंगा तैयार किया और उसे फहराया। भीकाजी 33 वर्ष अपनी बीमारी के चलते भारत से दूर रहीं पर दूर होकर भी उनका आज़ादी का सपना कायम रहा। वे यूरोप के अलग-अलग देशों में जाके भारत की स्वतंत्रता के नारे लगाती रहीं। इन्होंने पेरिस इंडियन सोसाइटी की स्थापना की और उसमें अपनी क्रांतिकारी मैगज़ीन ‘वंदे मातरम’ निकाली।