Hindi, asked by nanwanikomal1187, 6 months ago

भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में उनकी जानकारी बताइएभारत के किन्हीं दो स्वतंत्रता सेनानियों के चित्र चिपकाकर उनकी जानकारी लिखो ​

Answers

Answered by kkiran65406
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Answer:

1. मंगल पांडे

Source: www.thefamouspeople.comMangal Pandey

जन्म: 19 जुलाई, 1827

जन्म स्थान: बलिया, उत्तर प्रदेश

निधन: 8 अप्रैल 1857

म्रत्यु का स्थान: बैरकपुर, पश्चिम बंगाल

मंगल पांडे का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के एक गांव नगवा में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम 'दिवाकर पांडे' तथा माता का नाम 'अभय रानी' था. वे सन 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए थे. वे बैरकपुर की सैनिक छावनी में “34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री” की पैदल सेना में एक सिपाही थे. यहीं पर गाय और सूअर की चर्बी वाले राइफल में नई कारतूसों का इस्तेमाल शुरू हुआ. जिससे सैनिकों में आक्रोश बढ़ गया और परिणाम स्वरुप 9 फरवरी 1857 को 'नया कारतूस' को मंगल पाण्डेय ने इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया. 29 मार्च सन् 1857 को अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन भगत सिंह से उनकी राइफल छीनने लगे और तभी उन्होंने ह्यूसन को मौत के घाट उतार दिया साथ ही अंग्रेज अधिकारी लेफ्टिनेन्ट बॉब को भी मार डाला. इस कारण उनको 8 अप्रैल, 1857 को फांसी पर लटका दिया गया. मंगल पांडे की मौत के कुछ समय पश्चात प्रथम स्वतंत्रता संग्राम शुरू हो गया था जिसे 1857 का विद्रोह कहा जाता है.

2. भगत सिंह

Source: www.hindi.sabrangindia.in.comBhagat Singh

जन्म: 28 सितंबर 1907

जन्म स्थान: लायलपुर ज़िले के बंगा, पंजाब

निधन: 23 मार्च 1931

मृत्यु का स्थान: लाहौर जेल में फांसी

शहीद भगत सिंह पंजाब के रहने वाले थे. उनके पिता का नाम 'किशन सिंह' और माता का नाम 'विद्यावती' था. क्या आप जानते हैं कि वे भारत के सबसे छोटे स्वतंत्रता सेनानी थे. वह सिर्फ 23 वर्ष के थे जब उन्होंने अपने देश के लिए फासी को गले लगाया था. भगत सिंह पर अराजकतावादी और मार्क्सवादी विचारधाराओं का काफी प्रभाव पड़ा था. लाला लाजपत राय की मौत ने उनको अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए उत्तेजित किया था. उन्होंने इसका बदला ब्रिटिश अधिकारी जॉन सॉंडर्स की हत्या करके लिया. भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त के साथ केंद्रीय विधान सभा या असेंबली में बम फेंकते हुए क्रांतिकारी नारे लगाए थे. उनपर 'लाहौर षड़यंत्र' का मुकदमा चला और 23 मार्च, 1931 की रात भगत सिंह को फाँसी पर लटका दिया गया.

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