भारत की दुर्दशा का प्रमुख कारण कवि ने क्या बताया है
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भारतेंदु हरिश्चंद्र ने भारत की दुर्दशा का कारण भारत वासियों में आपसी बैर और फूट को बताया है।
अंग्रेजों द्वारा भारतीयों में डाली गई फूट के कारण भारतीयों में आपस में कलह हो गई है, और भारतवासी एक दूसरे से बैर पाल बैठे हैं। यह भारत की दुर्दशा का सबसे प्रमुख कारण है। भारतेंदु हरिश्चंद्र कुछ अन्य कारण भी बताते हैं जो भारत की दुर्दशा के लिए उत्तरदायी हैं। वे कहते हैं कि भारत में व्याप्त अंधविश्वास और कुरीतियां, बीमारियां, कामचोरी, आलस्य, नशे का सेवन, धर्मांधता, फिजूलखर्ची, दिखावा, पाखंड, फैशन, भ्रष्टाचार, सिफारिश, लालच और स्वार्थपरता आदि जैसे अनेक कारण हैं, जो भारत की दुर्दशा के लिए उत्तरदायी हैं, इन सब कारणों में सबसे बड़ा कारण लेखक ने अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के मन में आपसी बैर और फूट डालकर अंग्रेजों द्वारा भारत को लूटने का बताया है।
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भारत की दुर्दशा का प्रमुख कारण कवि ने क्या बताया है
भारत दुर्दशा भारतेन्दु हरिश्न्द्र द्वारा 1857 में लिखी गई एक लघु नाटक है| नाटक में कवि ने भारत की दुर्दशा के सभी पक्षों का वर्णन किया गया है|
भारतेन्दु के अनुसार भारत की दुर्दशा का प्रमुख कारण वर्तमान भारत विनाश के मार्ग पर बढ़ रहा है| कवि के अनुसार बाहरी और आंतरिक दोनों कारण जिम्मेदार है| लोगों का आपस में बैर और फूट की भावना का होना है। धर्म के पीछे लड़ना , धर्म को बाँटना ,आपसी भेद-भाव के कारण भारत में लोगों की एकता कम होती जा रही है|